उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय प्रवेश प्रक्रिया पर उठते सवाल
पौड़ी | उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय देहरादून की प्रवेश प्रक्रिया एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं। इस बार विवि प्रशासन पर अपर रैंक की अभ्यर्थी को छोड़कर लोअर रैंक की अभ्यर्थी को प्रवेश दिए जाने का आरोप लगा है। पीड़ित अभ्यर्थी के अभिभावकों का कहना है कि शिकायत दर्ज कराए जाने के लिए यूटीयू प्रशासन से फोन पर संपर्क किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन विवि प्रशासन के अधिकारी फोन नहीं उठा रहे हैं।
जीबी पंत अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, घुड़दौड़ी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में सेवारत एसोसिएट प्रोफेसर एमके अग्रवाल ने यूटीयू प्रशासन पर प्रवेश प्रक्रिया में अनियमितता बरते जाने का आरोप लगाया है।
अग्रवाल ने बताया कि उनकी बेटी अवंतिका अग्रवाल ने जेईई मेन्स में 266533वीं रैंक हासिल की थी। काउंसिलिंग के दौरान अवंतिका ने प्रवेश के लिए जीबी पंत अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान घुड़दौड़ी का एकमात्र विकल्प दिया था। ट्रेड के लिए कंप्यूटर साइंस व सीएस आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के विकल्प दिए थे। लेकिन अवंतिका को यूटीयू ने प्रवेश नहीं दिया। जबकि अवंतिका से काफी पीछे रैंक 278975वीं रैंक वाली अभ्यर्थी को जीबी पंत अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के कंप्यूटर साइंस व सीएस आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में प्रवेश दे दिया गया है।
अग्रवाल ने बताया कि उक्त दोनों अभ्यर्थी उत्तराखंड महिला वर्ग की थी। अग्रवाल ने बताया कि मामले की शिकायत किए जाने के लिए यूटीयू प्रशासन के अधिकारियों से फोन पर संपर्क किए जाने का प्रयास किया, तो किसी ने फोन नहीं उठाया। उन्होंने प्रवेश प्रक्रिया को निरस्त किए जाने की मांग की है।
यूटीयू पर इससे पहले निजी संस्थानों को प्रवेश में बढ़ावा दिए जाने के आरोप लगे थे। जीबी पंत अभियांत्रिकी संस्थान प्रशासन यूटीयू प्रशासन पर प्रवेश प्रक्रिया में सरकारी संस्थानों के बजाय निजी संस्थानों को बढ़ावा दिए जाने का आरोप लगा चुका है।
साथ ही संस्थान के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के तहत मैन्युफेक्चरिंग इंजीनियर कोर्स के स्थान पर विकल्प के रुप में पेट्रोलियम इंजीनियरिंग को दर्शाए जाने परकड़ी नाराजगी भी जता चुका है। प्रवेश के लिए निर्धारित सीटों में संस्थान 10 फीसदी प्रवेश उत्तराखंड के बच्चों को और 90 प्रतिशत देश के अन्य हिस्सों के बच्चों को देता है। जबकि यूटीयू ने उत्तराखंड के बच्चों को 85 और देश के अन्य हिस्सों के बच्चों को 15 प्रतिशत प्रवेश का मानक प्रदर्शित किए थे।