December 26, 2024

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प्रियंका गांधी वाड्रा ने चार वन कर्मियों की मौत को बताया दुखद, उत्‍तराखंड सरकार से की यह अपील

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में जंगल की आग से चार वन कर्मचारियों की मृत्यु को दुखद बताया। उन्होंने केंद्र और प्रदेश की सरकार से आग की घटनाओं को रोकने और हिमालय को बचाने के लिए सभी के सहयोग से प्रभावी कदम उठाने को कहा है। उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में जंगल की आग की घटनाएं थम नहीं पा रही हैं। बिनसर वन्यजीव अभयारण्य में आग से चार वन कर्मचारियों की मृत्यु के प्रकरण पर प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रतिक्रिया व्यक्त की। इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर अपनी पोस्ट में प्रियंका ने कहा कि अल्मोड़ा में जंगल की आग में चार कर्मचारियों की मृत्यु दुखद है। प्रदेश सरकार को प्रभावित परिवारों को मुआवजा और हर संभव सहायता उपलब्ध करानी चाहिए।

पिछले कई महीनों से लगातार जल रहे उत्तराखंड के जंगल
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के जंगल पिछले कई महीनों से लगातार जल रहे हैं। सैकड़ों हेक्टेयर जंगल नष्ट हो चुका है। हिमाचल प्रदेश में भी जंगल की आग की रिपोर्ट हैं। एक अध्ययन के अनुसार हिमालयी क्षेत्र में जंगल की आग की घटनाएं बढ़ रही हैं। जलवायु परिवर्तन ने हमारे हिमालय और पर्वतीय पर्यावरण पर गहरा प्रभाव डाला है। उन्होंने केंद्र और प्रदेश की सरकारों से अपील की कि जंगल की आग रोकने के लिए व्यापक स्तर पर प्रभावी प्रयास किए जाएं। पिछले महीने अल्मोड़ा जिले में लीसा फैक्ट्री जंगल की आग की चपेट में आने से तीन कर्मचारियों की मृत्यु हो गई थी। गर्म और सूखे मौसम में आग की घटनाएं दोबारा हो रही हैं। पिछले 24 घंटे में ऐसी सात घटनाओं में 4.50 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है।

25 लाख रुपये मुआवजा दे सरकार: करन माहरा
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने बिनसर अभयारण्य में चार वन कर्मचारियों की जलने से मौत पर दुख व्यक्त किया और शोक संतप्त स्वजन के प्रति गहरी संवेदना प्रकट कीं। उन्होंने मृत कर्मचारियों के स्वजन को 25-25 लाख रुपये मुआवजा और उनके परिवार के एक व्यक्ति को विभाग में नियुक्ति देने की मांग सरकार से की है। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा मेडिकल कालेज में बर्न वार्ड नहीं है। ऐसे में आग से झुलसने वाले कर्मचारियों का उपचार नहीं हो सकता। ऐसा ही हाल कमोबेश सभी मेडिकल कालेजों का है। सरकार भी इस संबंध में ठोस नीति नहीं बना पाई है।