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पुडुचेरी से विदाई के बाद दक्षिण से बेदखल हुई कांग्रेस

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पुडुचेरी में बीते कुछ दिनों से जारी राजनीतिक संकट का पटाक्षेप हो गया और अंतत: कांग्रेस की सरकार गिर गई।

माहे । देश की सत्ता में जब से मोदी सरकार आई है, मानों जैसे कांग्रेस के अच्छे दिन भी चले गए। पुडुचेरी में बीते कुछ दिनों से जारी राजनीतिक संकट का पटाक्षेप हो गया और अंतत: कांग्रेस की सरकार गिर गई। मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार सदन में बहुमत साबित करने में विफल रही और इस तरह कभी दक्षिण भारत में मजबूत रही कांग्रेस का आखिरी राज्य भी हाथ से चला गया।

दरअसल, विधानसभा में पेश किए गए विश्वासमत प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया था। इसके बाद मुख्यमंत्री राजनिवास पहुंचे और उप राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा। दरअसल, कर्नाटक के बाद दक्षिण भारत में पुडुचेरी में ही कांग्रेस की सरकार बची थी, मगर अब वहां से भी पार्टी की विदाई हो गई। कर्नाटक में भी जेडीएस के साथ किसी तरह कांग्रेस गठबंधन की सरकार में कुछ समय तक रही, मगर बाद में फिर से भाजपा ने वहां की सत्ता पर कब्जा कर लिया। उसके बाद दक्षिण भारत के राज्यों में एक पुडुचेरी ही था, जहां कांग्रेस की सरकार बची थी, मगर वहां भी विधायकों के इस्तीफे के बाद सत्ता हाथ से चली गई। इस तरह से देखा जाए तो अब कांग्रेस का दक्षिण भारत का मजबूत किला पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है।

कर्नाटक और मध्य प्रदेश के बाद कांग्रेस को मिला यह हैट्रिक झटका है। कर्नाटक में भी जेडीएस के साथ गठबंधन में कांग्रेस कुछ समय तक रही, मगर कांग्रेस-जेडीएस विधायकों के इस्तीफे के बाद भाजपा को ऑपरेशन लोटस का मौका मिल गया और उपचुनाव में भाजपा ने जीत हासिल कर कांग्रेस से कर्नाटक को भी छीन लिया। इसके अलावा, 15 सालों के बाद मध्य प्रदेश में भी बड़ी मुश्किल से कांग्रेस को सत्ता मिली थी, मगर वहां भी 15 महीने बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से सरकार चली गई। फिलहाल, कांग्रेस की उम्मीद इस साल होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से है। इस साल पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। अब तक के जो समीकरण दिख रहे हैं, इन चुनावों में कांग्रेस को जीतने के लिए कुछ करिश्मा करना होगा।

बंगाल में टीएमसी और भाजपा के बीच टक्कर दिख रही है, हालांकि लेफ्ट के साथ गठबंधन ने कांग्रेस को मुकाबले में फिर से ला खड़ा किया है। वहीं, तमिलनाडु में कांग्रेस, डीएमके के साथ मिलकर चुनाल लड़ रही है। केरल में कांग्रेस के लिए सत्ता पाना इतना आसान नहीं है, क्योंकि वहां लेफ्ट का बोलबाला रहा है। असम में भाजपा की सरकार है और कांग्रेस को जीत के लिए एड़ी चोटी का दम लगाना होगा। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी के मुकाबले कांग्रेस पार्टी में रणनीतिक का काफी अभाव महसूस किया जाता रहा है। इसके अलावा, पार्टी के शीर्ष नेतृत्वव को लेकर अभी अस्मंजस की स्थिति है। बीते समय ही पार्टी में शीर्ष नेतृत्व को लेकर कांग्रेस के एक धड़े ने आवाज उठाई थी और सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी, जिसके बाद पार्टी का आंतरिक कलह सामने आ गया था। पार्टी में सगंठनात्मक चुनाव की मांग काफी समय से हो रही है। अब देखने वाली बात होगी कि आखिर देशभर में अपनी डूबती नाव को कांग्रेस कैसे बचाती है।