September 3, 2025

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मन की बात में पीएम मोदी ने ‘कॉलरवाली’ बाघिन को किया याद

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने मन की बात के 85 वें संस्करण में 'कॉलरवाली' बाघिन को याद किया। पीएम ने कहा कि हर जीवित प्राणी के लिए करुणा हमारी संस्कृति और जन्मजात स्वभाव में है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की संस्कृति की एक झलक तब देखी गई जब मध्य प्रदेश की 'कॉलरवाली' बाघिन का अंतिम संस्कार सम्मान और स्नेह के साथ किया गया।

नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने मन की बात के 85 वें संस्करण में ‘कॉलरवाली’ बाघिन को याद किया। पीएम ने कहा कि हर जीवित प्राणी के लिए करुणा हमारी संस्कृति और जन्मजात स्वभाव में है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की संस्कृति की एक झलक तब देखी गई जब मध्य प्रदेश की ‘कॉलरवाली’ बाघिन का अंतिम संस्कार सम्मान और स्नेह के साथ किया गया।

मध्य प्रदेश में बाघिन के अंतिम संस्कार को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रकृति के प्रति प्रेम और प्रत्येक जीव के लिए करुणा, यह हमारी संस्कृति के साथ-साथ सहज स्वभाव भी है। बता दें कि लोग इस बाघिन को ‘कॉलरवाली’ बाघिन कहते थे। वन विभाग ने इसे टी-15 नाम दिया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बाघिन की मौत ने लोगों को इतना भावुक कर दिया कि जैसे उनका कोई अपना ही दुनिया छोड़कर चला गया हो। लोगों ने उनका अंतिम संस्कार किया, पूरे सम्मान और स्नेह के साथ उन्हें विदाई दी, यह सब उनकी करुणा को दिखाता है। पीएम ने आगे कहा कि इन तस्वीरों को आपने सोशल मीडिया पर भी देखा होगा। बता दें कि मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व की शान ‘कॉलरवाली’ बाघिन की इस साल 15 जनवरी को वृद्धावस्था के कारण मौत हो गई थी।

कॉलरवाली का जन्म सितंबर 2005 में हुआ था, उसने लगभग 29 शावकों को जन्म दिया था और पूरे पेंच सीमा में अपना क्षेत्र स्थापित कर विश्व रिकॉर्ड बनाया। वन विभाग ने बताया कि कोलारवाली बाघिन (करीब 16.5 वर्षीय) ने 15 जनवरी की शाम 6.15 बजे सिवनी के कर्मझिरी क्षेत्र के बीट कुंभदेव के कमरा नंबर 589 में अंतिम सांस ली थी। कॉलरवाली बाघिन ने अपने जीवनकाल में 29 शावकों को जन्म दिया और उनमें से 25 को परिपक्व होने तक पाला। उन पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘टाइगर: स्पाई इन द जंगल’ बनी थी। गौरतलब है कि 11 मार्च 2008 को भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के विशेषज्ञों ने बाघिन को एक रेडियो कॉलर लगाया था तब से ही वह “कॉलरवाली” के नाम से जानी जाने लगी।

 

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