November 21, 2024

Newz Studio

सरल और संक्षिप्त

हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन को घेरने की प्लानिंग

अंडमान निकोबार के खाली द्वीपों को रणनीतिक केंद्रों के रूप में विकसित करने पर चल रहा है विचार

नई दिल्ली । हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन की घेराबंदी और राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए अंडमान निकोबार के खाली द्वीपों को रणनीतिक केंद्रों के रूप में विकसित करने पर विचार चल रहा है। अंडमान निकोबार द्वीप समूह के दर्जनों खाली द्वीप ऐसे हैं जहां सैन्य केंद्र स्थापित कर बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर में भारत अपनी ताकत को बढ़ा सकता है। सरकारी सूत्रों के अनुसार हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन की व्यापारिक और रणनीतिक गतिविधियों दोनों में इजाफा हुआ है। आने वाले समय में चीन हिन्द प्रशांत समुद्र क्षेत्र में विमानवाहक पोत भी तैनात कर सकता है।

उसके पास चार पोत हैं जबकि भारत के पास सिर्फ दो हैं। लेकिन सरकारी सूत्रों का कहना है कि अंडमान निकोबार में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण द्वीपों की श्रृंखला के रणनीतिक इस्तेमाल से समुद्र में चीन की किसी भी चुनौती से निपटा जा सकता है। अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 534 खाली द्वीप हैं जबकि 38 द्वीपों पर आबादी है। इनका कुल क्षेत्रफल करीब नौ हजार वर्ग किमी है। इन खाली द्वीपों में से कुछ द्वीपों को सैन्य बेस के रूप में विकसित किया जा सकता है। जहां से समुद्र में हर गतिविधियों पर निगरानी के साथ-साथ त्वरित कार्रवाई के लिए आवश्यक संसाधन जुटाए जा सकते हैं।

खबर है कि इस पर शुरुआती कार्य भी चल रहा है। यह कार्य कई स्तरों पर हो रहा है। द्वीपों के समग्र विकास के लिए केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में एक आईलैंड अथारिटी ने 2017 में कार्य शुरू किया है। इसके अलावा अलग से सैन्य उपयोग को लेकर भी सरकारी सूत्रों के अनुसार चूंकि अंडमान निकोबार द्वीप समूह से मलक्का जलसंधि सिर्फ सौ किलोमीटर की दूरी पर है, इसलिए ये द्वीप बेहद महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

विश्व का 75 फीसदी कारोबार इस चैनल से होकर गुजरता है जिसमें उपभोक्ता वस्तुओं, पेट्रोलियम से लेकर मिलिट्री साजोसामान तक शामिल है। निकोबार के द्वीपों का रणनीतिक महत्व इसलिए भी बढ़ रहा है क्योकिं चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह को हथिया रखा है।श्रीलंका में उसकी गतिविधियों का रास्ता मलक्का जलसंधि से होकर ही गुजरेगा।

इतना ही नहीं वह श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश, थाइलैंड आदि देशों को हथियारों की आपूर्ति भी कर रहा है जिसके मद्देनजर भारत की अपनी तैयारियां जरुरी हैं। समुद्री सुरक्षा को लेकर 2001 में अंडमान निकोबार में ट्राई सर्विस कमांड की स्थापना की गई थी जिसका मुख्यालय पोर्ट ब्लेयर में है। इसमें जल, नभ और थल तीनों सेनाएं हैं तथा यह थियेटर कमान जैसे के रूप में ही कार्य करती है। भविष्य में जब मैरीटाइम थियेटर कमान बनेगी तो ट्राई सर्विस कमान को उसी के नियंत्रण में लाया जा सकता है।