September 4, 2025

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 दोनों डोज़ ले चुके लोगों को नहीं पड़ी अस्पताल की जरूरत

वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके 94 फीसदी लोगों को कोरोना संक्रमित होने पर आईसीयू में भर्ती की जरूरत नहीं पड़ी, जबकि 77 फीसदी लोगों को तो अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत भी नहीं पड़ी।
18 प्लस को भी लगेगी वैक्सीन, कुछ राज्यों में होगा वैक्सीनेशन तो कुछ में नहीं

नई दिल्ली । कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर की गई एक स्टडी से पता चला है कि वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके 94 फीसदी लोगों को कोरोना संक्रमित होने पर आईसीयू में भर्ती की जरूरत नहीं पड़ी, जबकि 77 फीसदी लोगों को तो अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत भी नहीं पड़ी। एक्सपर्ट्स लगातार महामारी के खिलाफ जंग में वैक्सीनेशन प्रोग्राम को बेहद जरूरी बता रहे हैं।

18 प्लस को भी लगेगी वैक्सीन, कुछ राज्यों में होगा वैक्सीनेशन तो कुछ में नहींवेल्लूर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के 10 हजार 600 कर्मचारियों को इस स्टडी में शामिल किया गया। इनमें से 84.8 फीसदी यानी 8 हजार 990 सदस्य 21 जनवरी से 30 अप्रैल तक टीका प्राप्त कर चुके थे। इनमें से 93.4 प्रतिशत लोगों को कोविशील्ड लगी थी, जबकि अन्य लोगों ने कोवैक्सीन लगवाई थी। स्टडी में शामिल लोगों में 7 हजार 80 सदस्यों को दोनों डोज मिल चुके थे। इनमें से 679 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए। बीमार होने के बाद 64 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। चार लोगों को ऑक्सीजन थैरेपी की जरूरत लगी। खास बात यह है कि इनमें से केवल दो मरीजों को आईसीयू में दाखिल करने की नौबत आई। एक और राहत की खबर यह है कि इस दौरान कोई मौत नहीं हुई। लेखकों ने यह साफ किया है कि फ्रंटलाइन वर्कर्स को जल्द से जल्द टीका लगाया जाना बेहद जरूरी है। एक अन्य रिपोर्ट में स्टडी के लेखक डॉक्टर जेवी पीटर्स के हवाले से कहा गया है कि पहले डोज के बाद से ही सुरक्षा मिलना शुरू हो जाती है। वैक्सीन का सिंगल डोज आईसीयू में भर्ती होने से 95 फीसदी सुरक्षा देता है।

उन्होंने कहा, ‘यह एफिकेसी नहीं ऑब्जर्वेशनल स्टडी थी। इसमें हमने सीमित समूह की स्टडी की, लेकिन हमें हर स्तर पर वैक्सीनेशन के फायदे नजर आए।’ उन्होंने बताया, ‘केवल एक ही स्टाफ सदस्य था, जिसकी महामारी की शुरुआत में मौत हो गई थी। उन्हें कई बीमारियां थी और वैक्सीन भी नहीं ली थी।’ स्टडी में पता चला है कि दोनों डोज प्राप्त करने से अस्पताल में भर्ती, ऑक्सीजन थैरेपी की जरूरत और आईसीयू में दाखिले को कम कर देते हैं।

 

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