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पौड़ी: प्रवासियों को आजीविका दिलाने को जुटा प्रशासन

लॉक डाउन के बाद जनपद पौड़ी में अभी तक 12000 से अधिक लोगों ने प्रवेश कर लिया है। कुछ दिन पूर्व उत्तराखंड सरकार की ओर से यह निर्देशित भी किया गया था कि जो भी लोग पहाड़ी क्षेत्र में आए हैं उनको कृषि व बागवानी के से जोड़कर उन्हें यहीं पर ही आजीविका प्रदान की जाए।

रिपोर्ट: मुकेश बछेती

ख़ास बात:

  • पौड़ी में लगभग 12000 लोगों का प्रवेश
  • प्रवासियों को रोज़गार देने में मदद करेगी सरकार
  • कृषि व बागवानी में देगी मदद
  • बीज, उपकरण इत्यादि कराएगी मुहैय्या

पौड़ी: लॉक डाउन के बाद जनपद पौड़ी में अभी तक 12000 से अधिक लोगों ने प्रवेश कर लिया है। कुछ दिन पूर्व उत्तराखंड सरकार की ओर से यह निर्देशित भी किया गया था कि जो भी लोग पहाड़ी क्षेत्र में आए हैं उनको कृषि व बागवानी के से जोड़कर उन्हें यहीं पर ही आजीविका प्रदान की जाए। वहीं जिला प्रशासन पौड़ी की ओर से भी कृषि विभाग और उद्यान विभाग को निर्देशित किया गया है कि वह जनपद में सर्वे कर लोगों से वार्ता कर उनकी जरूरत के अनुसार उन्हें वस्तुएं मुहैया करवाएं।

प्रवासियों को रोज़गार देगी सरकार

सरकार के निर्देश हैं कि इच्छुक व्यक्तियों को बीजों से लेकर उपकरण तक जो भी वस्तुएं उन्हें चाहिए वह मुहैया कराए जाएं जिससे कि वे कृषि और बागवानी के क्षेत्र में तेजी से कार्य कर सकें।

पौड़ी के कृषि अधिकारी देवेंद्र सिंह ने बताया कि वर्तमान में उनकी ओर से सभी चीजों के वितरण व्यवस्था कर ली गई है और जो लोग पहले से खेती कर रहे हैं उनके साथ नए लोगों को जोड़कर कृषि के क्षेत्र में कार्य किया जाएगा। इसके साथ ही बागवानी के क्षेत्र में भी लोगों को जानकारी दी जा रही है।

जिलाधिकारी धीरज सिंह गर्ब्याल ने बताया कि उनकी ओर से जनपद पौड़ी में सर्वे करवाया जा रहा है और जो 12000 लोग लॉक डाउन के बाद जनपद में पहुंचे हैं उनकी रूचि के अनुसार उनकी मदद की जाएगी। इसके अलावा जो लोग कृषि के क्षेत्र में कार्य करना चाहते हैं उन्हें बीजों के साथ-साथ उपकरण तक मुहैया करवाए जाएंगे ताकि जो खेत लंबे समय से बंजर पड़े हुए थे उन पर भी खेती की जा सके। उन्होंने कहा कि पलायन के बढ़ते हुए आंकड़ों में भी इस से कमी देखने को मिलेगी।

वहीं ‘पलायन – एक चिंतन’ के संयोजक अनिल बहुगुणा ने बताया कि आज जिस तरह से सरकार की ओर से इन लोगों को मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं इन लोगों को यहीं पर आजीविका देने के लिए सरकार को आगे भी प्रयास करने होंगे ताकि जो भी लोग हमारे पहाड़ों को छोड़कर मैदानी क्षेत्रों में रोजगार की तलाश में गए थे वह अपने गांव में रहकर ही स्वरोजगार कर अपना जीवन यापन करें ताकि पलायन के आंकड़ों में कमी आने के साथ-साथ हमारे पहाड़ दोबारा से खुशहाल हो सके।

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