61 घंटे सफर कर कोविड सेंटर पहुंचे मरीज
पिथौरागढ़ । इनदिनों कोरोना का कहर बॉर्डर के अंतिम गांवों तक पहुंच गया है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के गांव चीन और नेपाल बॉर्डर पर बसे हैं। यहां ना स्वास्थ्य सुविधाएं हैं, न सड़क और न ही कम्युनिकेशन का कोई साधन है। चीन बॉर्डर पर बसे पातो गांव के नागरिक को तीन-चार दिनों से तेज बुखार था। जब हालत गंभीर होने लगी,तब गांव वालों ने प्रशासन से हैलीकॉप्टर की मदद मांगी।लेकिन मौसम खराब होने की वजह से हैलीकॉप्टर का इंतजाम नहीं हो सका। इसके बाद प्रशासन और गांव के 16 लोगों ने 54 किलोमीटर दूर कोविड केयर सेंटर पहुंचाया।
इसमें 61 घंटे का वक्त लगा क्योंकि बॉर्डर का यह गांव सड़क से नहीं जुड़ा है। मरीज को डोली में रखकर उबड़-खाबड़ रास्तों में 42 किलोमीटर पैदल चलकर पहले सड़क तक पहुंचाया गया। यहां से 12 किलोमीटर का सफर एंबुलेंस में तय किया। इस तरह 61 घंटे में बॉर्डर के गांव से मरीज मुनस्यारी के कोविड केयर सेंटर तक पहुंचाया जा सका।यह सिर्फ एक गांव का हाल नहीं है।पिथौरागढ़ जिले में ही करीब 23 गांव हैं जो सड़क से नहीं जुड़े हैं। इन गांवों की कुल आबादी करीब 20 हजार है।इन गांवों की सड़क से दूरी 5 किलोमीटर से लेकर 42 किलोमीटर तक है।
चीन बॉर्डर पर बसे गांव पातो, धापा, मिलम सहित कई गांवों से जब यह जानकारी आई कि कई लोगों को सर्दी जुकाम और बुखार है तब स्वास्थ्य विभाग की टीम इन गांवों में भेजी गई।40 किलोमीटर पैदल चलकर स्वास्थ्य विभाग की टीम इन गांवों में पहुंची और कोविड टेस्ट के लिए लोगों के सैंपल लिए। इनमें एक दर्जन से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हैं, वैसे तो पूरे राज्य में कोरोना के केस बढ़ रहे हैं , लेकिन दूर दराज के इलाकों में संक्रमण फैलना बड़ी मुसीबत इसलिए हो सकता है क्योंकि यहां स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है।