September 3, 2025

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पर्रिकर के पुत्र उत्पल ने भाजपा को छोड़ने का फैसला, बहुत ही तकलीफ भरा

पर्रिकर के पुत्र उत्पल ने भाजपा को छोड़ने का फैसला किया|

पणजी|  गोवा के दिवंगत मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के पुत्र उत्पल नेके बाद पिता की परंपरागत सीट पणजी से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। इस्तीफा देने पर उत्पल ने कहा कि पार्टी छोड़ना उनके लिए सबसे कठिन निर्णय था, लेकिन वह इसके लिए तैयार हैं।उन्होंने कहा कि अगर भगवा पार्टी यहां से किसी ”अच्छे उम्मीदवार” को मैदान में उतारती है,तब वहां चुनावी अखाड़े से हट जाते।बता दें कि अत्पल पर्रिकर को भाजपा ने पणजी से टिकट देने से मना कर दिया। इसके बाद उन्होंने बागी तेवर दिखकर भाजपा छोड़कर कहा कि वह 14 फरवरी को पणजी सीट से निर्दलीय के रूप में चुनाव लडूंगा।

भाजपा ने पणजी से अपने मौजूदा विधायक अतानासियो मोनसेरेट को टिकट दिया है। वह कांग्रेस छोड़कर जुलाई 2019 में भाजपा में शामिल हुए थे। उनके अलावा नौ और विधायकों ने भाजपा का दामना था। मोनसेरेट के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज है। उनमें नाबालिग लड़की बलात्कार का मामला भी शामिल है। मनोहर पर्रिकर के बड़े बेटे उत्पल ने शनिवार को कहा कि भाजपा हमेशा उनके दिल में है और वह पार्टी की आत्मा के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी छोड़ने का फैसला उनके लिए आसान नहीं था। उन्होंने कहा, “यह सबसे कठिन फैसला था। मैं उम्मीद कर रहा था कि मुझे ऐसा फैसला नहीं करना पड़ेगा।”

उन्होंने कहा, मैं खुश नहीं हूं कि मुझे यह फैसला लेना पड़ा। लेकिन कई बार आपको कड़े फैसले लेने पड़ते हैं। अगर पार्टी पणजी से किसी अच्छे उम्मीदवार को उतारती है,तब मैं फैसला वापस लेने के लिए तैयार हूं।” पर्रिकर ने दावा किया कि उन्हें टिकट से वंचित करना 1994 की स्थिति के समान है जब उनके पिता को पार्टी से बाहर करने का प्रयास किया गया था। उन्होंने कहा, जो इतिहास के गवाह रहे हैं,वहां समझ जाएंगे कि मैं क्या कह रहा हूं। यह वह समय था जब भाजपा उन क्षेत्रों में खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रही थी, जहां महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) प्रमुख थी।

2019 के पणजी उपचुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय भी उन्हें टिकट से वंचित कर दिया गया था। उन्होंने कहा, “समर्थन होने के बावजूद मुझे टिकट से वंचित कर दिया गया। मैं पार्टी में विश्वास करता था और फैसले का सम्मान करता था।” उत्पल ने कहा कि उन्होंने मनोहर पर्रिकर के बेटे के रूप में टिकट नहीं मांगा था। उन्होंने कहा, “अगर मैं ऐसा करना चाहता तो पिछली बार (2019 उपचुनाव के दौरान) कर चुका होता।’

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