बच्चों में कोविड-19 के मामूली लक्षण ही देखे गए – बाल रोग विशेषज्ञों ने किया यह दावा
नई दिल्ली| पैरेंट्स में ओमिक्रॉन को लेकर ज्यादा डर हो गया है, इसलिए वे अपने बच्चों को अस्पताल में दाखिला करवा रहे हैं जबकि सच यह है कि तीसरी लहर के दौरान भी बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने की बहुत कम जरूरत पड़ रही है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि फरवरी या मार्च में बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम का जोखिम है लेकिन यह भी बहुत ही दुर्लभ होगा यानी बहुत ही कम बच्चों में होगा।
डॉक्टरों का कहना है कि इसका मतलब यह नहीं कि बच्चों को अस्पताल नहीं ले जाना चाहिए। अगर बच्चे में किसी तरह की असहजता है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। करीब आधे दर्जन से ज्यादा बाल रोग विशेषज्ञों ने बताया कि तीनों लहर के दौरान बच्चों में कोविड-19 के मामूली लक्षण ही देखे गए। और अगर उन्हें कोरोना हुआ भी तो एक सप्ताह के अंदर ही वे इससे बाहर आ गए।
मेदांता अस्पताल में पेड्एट्रिक्स डिपार्टमेंट के एसोसिएट डाइरेक्टर डॉ मनींद्र सिंह धारीवाल ने कहा कि इस बार कोविड बहुत ज्यादा खतरनाक नहीं है। कुछ ही मामलों में बच्चों को पेड्एट्रिक्स आईसीयू में जाना पड़ता है। इसका मतलब यह हुआ कि इस बार बच्चों को कोविड के कारण आईसीयू में भर्ती नहीं होना पड़ा है। उन्हें संयोग से कैंसर, लिवर, किडनी, हार्ट जैसी बीमारियों के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है और जब इस परिस्थिति में उनका टेस्ट किया गया तो वे संयोग से पॉजिटिव पाए गए।
गुजरात में प्रमुखस्वामी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ सोमशेखर निंभालकर ने बताया कि पहले भी कोविड के कारण बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत कम ही पड़ी थी और ओमिक्रॉन वेब में भी इससे कम ही मामले सामने आ रहे हैं। अगर किसी बच्चों को कोरोना जैसे लक्षण दिखते भी हैं तो उन्हें सिर्फ गले में खराश और हल्का बुखार ही रहता है। उन्होंने बताया कि दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन में ओमिक्रॉन के कारण बच्चों में मल्टीपल इंफ्लामेटरी सिंड्रोम के मामले सामने नहीं आए हैं।