मुस्लिम लॉ पर्सनल बोर्ड ने तालिबान का किया समर्थन
नई दिल्ली | अफगानिस्तान में तालिबान के वर्चस्व के बाद हंडकंप का माहौल है। महिलाएं डर के साथ जी रही हैं। अफगानी लोग अपना मुल्क छोड़ने के लिए मजबूर हैं। साल 2001 में तालिबान के पतन के साथ देश तरक्की की दिशा की तरफ आगे बढ़ रहा था लेकिन फिर से अफगानिस्तान पर तालिबानियों ने कब्जा कर लिया।
इस बीच मुस्लिम लॉ पर्सनल बोर्ड ने तालिबान के समर्थन में टिप्पणी की है। बोर्ड के प्रवक्ता सज्जाद नोमानी ने तालिबान को अफगानिस्तान पर कब्जा करने पर बधाई देकर कहा है कि एक निहत्थी कौम ने दुनिया की मजबूत फौजों को शिकस्त दे दी है।इस दौरान उन्होंने 15 अगस्त की तारीख पर जोर देकर कहा कि अफगानिस्तान की जमीं पर यह तारीख रकम हुई।
उन्होंने कहा कि काबुल के महल में वह लोग दाखिल हुए हैं। उनके दाखिले का अंदाज पूरी दुनिया ने देखा है। गौरतलब है कि काबुल में तालिबान की एंट्री के साथ ही राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अफगानिस्तान छोड़ दिया। हालांकि किस मुल्क में हैं इसकी अभी तक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन कहा जा रहा है कि अशरफ गनी ने ओमान में शरण ली है।