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क्वारंटीन में जज़्बा कायम – बदल डाला गाँव के विद्यालय का रंग-रूप

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द्विवेदी परिवार नें बच्चो के संग क्वारंटीन अवधि का सदुपयोग करते हुए विद्यालय की तस्वीर बदल डाली।

ख़ास बात:

  • दिल्ली से लौटा प्रवासी परिवार दिलमाणा गाँव
  • 14 दिनों के लिए बच्चों के साथ विद्यालय में क्वारनटीन
  • समय का सदुपयोग विद्यालय की साफ़ सफाई में लगाया 
  • स्कूल का रंग-रूप ही बदल डाला

पौड़ी: कोरोना वाइरस के वैश्विक संकट की इस घड़ी में अपने-अपने गांव वापस लौटे लोगों को भले ही गांव के क्वारनटीन सेंटर में रहना अखर रहा हो, सेंटर में सुविधाओं को लेकर आक्रोश हो, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने क्वारेंटीन अवधि में अनुकरणीय कार्य करके एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में चौबट्टाखाल ब्लाॅक के दिलमाणा गांव के प्राथमिक विद्यालय में द्विवेदी परिवार व उनके बच्चे 14 दिनों के लिए क्वारेंटीन हुये हैं। ये परिवार दिल्ली से गांव आया था। यहाँ क्वारेंटीन होने के बाद उन्होंने देखा की लाॅकडाउन के कारण विगत दो महीने से विद्यालय बंद है जिस कारण से विद्यालय परिसर और विद्यालय के चारों ओर झाडियां उग आई है। विद्यालय की फुलवारी में भी खरपतवार, दूब घास काफी बढ़ी हुई थी। बिना पानी के फुलवारी के फूलों के पौधे भी सूख रहे थे। साथ ही स्कूल की दीवार भी गिर गयी थी।

ऐसे में द्विवेदी परिवार नें बच्चो के संग क्वारंटीन अवधि का सदुपयोग करते हुए विद्यालय की तस्वीर बदल डाली। उन्होंने विद्यालय के चारों ओर की झाडियां काट डाली, प्रांगण में उग आई घास को साफ करके पूरे विद्यालय परिसर की साफ सफाई कर दी और विद्यालय की फुलवारी को सुबह शाम पानी से सींच कर फूलों के पौधों को सूखने से बचाया।

इस दौरान इनके छोटे-छोटे बच्चे भी काम में इनका हाथ बंटा रहें हैं। प्राथमिक विद्यालय ये तस्वीर देख ग्रामीण भी अपनी खुशी नहीं रोक पा रहे हैं। उन्होंने द्विवेदी परिवार की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि दोनों ने अन्य लोगों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि किस तरह से समय का सदुपयोग किया जा सकता है। साथ ही उन्होंने लोगो से अपील भी की है कि ग्राम सभाओं में जो क्वारंटीन हैं वे प्रशासन का सहयोग करें। सोशल डिस्टेंस का पालन करें। घरों से बाहर न निकले। इसमें आपकी भी सुरक्षा है। हमारी भी है और गाॅ॑व वालों की सुरक्षा भी है।