काबुल धमाके के बाद खुरासान की भारत पर भी नजर
नई दिल्ली। अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण के बाद चारों तरफ दहशत का माहौल है। काबुल एयरपोर्ट पर हमले की जिम्मेदारी लेने वाले आतंकी संगठन आईएसआईएस- खुरासान और तालिबान के बीच आपसी मतभेद स्पष्ट नजर आ रहे हैं। काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले के बाद से अमेरिका बौखलाया हुआ है। इस हमले में 180 लोगों के मारे जाने की खबर है। हालांकि, अमेरिका ने 48 घंटे के भीतर ही अफगानिस्तान में आईएसआईएस के ठिकानों पर बम बरसा कर अपने जवानों की मौत का बदला ले लिया है।
इस बीच मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार आईएसआईएस-खोरासान के भारत में अपने पैर पसारने की खबर है। रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से खबर है कि आईएसआईएस ने अफगानिस्तान में अपने पैर मजबूती से जमा लिए हैं। अब यह संगठन पहले सेंट्रल एशिया और इसके बाद भारत में जिहाद फैलाने की तैयारी में हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि आतंकी हमले करना और युवाओं को भर्ती करना आईएसआईएस-खोरासान के एजेंडे में शीर्ष पर है। उन्होंने कहा कि वैचारिक रूप से, वे खलीफा का शासन स्थापित करना चाहते हैं। इसमें भारत भी शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार, केरल और मुंबई के कुछ युवा आईएसआईएस में शामिल हो गए हैं। इस आतंकी संगठन को लेकर कट्टर विचारधारा वाले युवाओं के बीच आकर्षण देखने को मिल रहा है। यदि विचारधारा के स्तर पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है तो भारत में यह अधिक सक्रिय हो सकता है। रिपोर्ट में अधिकारी ने आतंकी समूह की भर्ती योजनाओं के बारे में चिंता व्यक्त की है।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में यह देश आतंकवादी समूहों के पनपने के लिए मुफीद जगह के रूप में उभर रहा है। उनके अनुसार, जम्मू-कश्मीर में अपने हमलों के लिए मशहूर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद के नेतृत्व ने अपने बेस को कंधार की सीमा से लगे अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत में ट्रांसफर कर दिया गया। सूत्रों ने कहा कि इसी तरह 2008 मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड लश्कर-ए-तोएबा की लीडरशिप भी पूर्वी अफगानिस्तान के कुनार में शिफ्ट कर रहा है।