कानपुर | गांव पहुंचते ही राष्ट्रपति कोविंद हुए भावुक माथे पर लगाई मिट्टी
कानपुर। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तीन दिवसीय दौरे पर उत्तर प्रदेश पहुंचे हैं। तय कार्यक्रम के अनुसार महामहिम रविवार सुबह सबसे पहले अपने गांव परौंख पहुंचे। यहां उन्होंने पथरी देवी मंदिर में दर्शन किए और फिर गांव वालों का अभिनंदन करते हुए सभी को धन्यवाद दिया। इसके बाद राष्ट्रपति ने अपनी मातृभूमि को झुककर नमन किया और उसकी मिट्टी को माथे पर लगाया। राष्ट्रपति के साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद रहीं। राष्ट्रपति हैलीपैड से अपने गांव के पास उतरे। यहां उतरते ही उन्होंने अपनी मातृभूमि की मिट्टी को माथे लगाया और नमन किया। बता दें कि राष्ट्रपति बनने के लगभग चार साल बाद रामनाथ कोविंद रविवार को पहली बार अपने पैतृक गांव परौंख पहुंचे। गांव पहुंचकर उन्होंने पत्नी सविता के साथ पथरी देवी मंदिर के दर्शन किए। लगभग 15 मिनट तक विधि-विधान से पुजारी कृष्ण कुमार बाजपेई ने पूजा संपन्न कराई।
इस मौके पर महामहिम अपने साथ फल-मिष्ठान लेकर आए। कानपुर देहात के अभिनंदन समारोह में राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरे जैसे गांव के एक साधारण लड़के को देश के सर्वोच्च पद की जिम्मेदारी निभाने का सौभाग्य मिलेगा। लेकिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने इसे संभव बना दिया है। आज इस अवसर पर मैं देश के स्वतंत्रता सेनानियों को उनके बलिदान और संविधान का मसौदा बनाने वाली समिति को उनके योगदान के लिए नमन करता हूं। मैं आज जहां तक पहुंचा हूं, इसका श्रेय इस गांव की मिट्टी और आप सभी के प्यार और आशीर्वाद को को जाता है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने गांव पहुंचकर भावुक हो गए। बचपन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि गांव की इस मिट्टी और यहां के लोगों के आशीर्वाद से वह राष्ट्रपति भवन तक पहुंचे हैं।
अभिनंदन समारोह स्थल पर संबोधन की शुरुआत में उन्होंने कहा कि मेरे गांव आने से जितनी खुशी आप सभी को है उससे ज्यादा मुझे है। मातृभूमि में आने की उनको बहुत लालसा थी। उन्होंने खुद बताया कि हेलीकॉप्टर से नीचे उतरा तो मातृभूमि के चरण स्पर्श किए। राष्ट्रपति ने प्रार्थना की कि इस बार गांव आने में जितना विलंब हुआ आगे नहीं हो, फिर जल्दी गांव आने का मौका मिले। जहां आप हैं वहीं मैं भी हूं, आप नागरिक और मैं सिर्फ राष्ट्रपति होने के नाते प्रथम नागरिक कहलाता हूं। उन्होंने कहा कि पहले गांव से निकालकर कहीं ऊपर पहुंचना मुश्किल था, अब लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसा नहीं रहा। उन्होंने कहा कि प्रदेश ने नौ प्रधानमंत्री दिए और अब राष्ट्रपति भी दिया, इससे आगे का रास्ता खुल गया है। आज जहां तक पहुंचा गांव की मिट्टी के आशीर्वाद से पहुंचा। उन्होंने कहा कि प्रेसीडेंशियल ट्रेन से आया तो फ्रेट कॉरिडोर दिखा यह विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जल्द इसके परिणाम दिखेंगे। अब तो गांव में बहुत अच्छे और पक्के मकान बन गए हैं, बाजार अच्छा हो गया है। गांव के लोगों का प्रेम देख मुख्य मंत्री ने कहा मैंने पहली बार ऐसा देखा है। राष्ट्रपति ने बचपन के साथियों की याद कर कहा कि जसवंत, विजयपाल, हरिराम, चंद्रभान के साथ पढ़ाई लिखाई की शुरुआत की। उनका मेरे जीवन में विशेष स्थान है। उन्होंने बताया कि उनके अंदर राजनीतिक चेतना बजरंग सिंह ने भरी। राम मनोहर लोहिया को गांव में लाने का श्रेय उन्हें जाता है।