सीमांत गाँवों में पलायन रोकने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश
सीमांत गाँवों के विकास और पलायन रोकथाम को लेकर ग्राम्य विकास सचिव धीराज गर्व्याल ने बुधवार को सभी जनपदों के मुख्य विकास अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से व्यापक समीक्षा की। सचिव ने योजनाओं में तेजी लाने और प्रत्येक जिले से ठोस, व्यावहारिक और परिणाम आधारित कार्ययोजना तैयार कर तत्काल प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
सचिव ने स्पष्ट किया कि कार्ययोजनाओं का केंद्र आजीविका सृजन होना चाहिए। उन्होंने प्रत्येक चिन्हित विकासखंड में मदर पोल्ट्री यूनिट स्थापित करने तथा मत्स्य पालन, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, सामुदायिक पर्यटन और प्रसंस्करण जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देने पर जोर दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा के लिए चेन-लिंक फेंसिंग के प्रस्ताव अनिवार्य रूप से शामिल करने को कहा।
महिला स्वयं सहायता समूहों को ‘लखपति दीदी’ बनाने के लक्ष्य के तहत योजनाएँ तैयार करने और जिले के ग्रोथ सेंटरों के उत्पादों के विपणन व मॉनिटरिंग को मजबूत करने के भी निर्देश दिए गए।
चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, चम्पावत और उधम सिंह नगर के सीमांत क्षेत्रों की योजनाओं की अलग से समीक्षा की गई। सचिव ने बार्डर एरिया के लिए क्लस्टर आधारित ग्राम संतृप्तीकरण योजना बनाने को कहा, जिसमें बुनियादी सुविधाओं के साथ स्वरोजगार आधारित गतिविधियाँ भी शामिल हों।
वाइब्रेंट विलेजेज कार्यक्रम के तहत सभी सीमांत गांवों को सड़क, 4G टेलीकॉम कनेक्टिविटी, टीवी लिंक और ग्रिड बिजली से पूर्ण संतृप्त करने के निर्देश दिए गए। चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ को वीवीपी-1 गांवों की संतृप्तीकरण रिपोर्ट जल्द पोर्टल पर अपलोड करने के लिए कहा गया। प्रत्येक उत्सादीत गांव के लिए पर्यटन विकास की समेकित योजना तैयार की जाएगी।
सचिव ने बताया कि सभी योजनाओं की ऑनलाइन मॉनिटरिंग के लिए संबंधित ऑनलाइन पोर्टल एक सप्ताह में चालू कर दिया जाएगा।
बैठक में अपर सचिव अनुराधा पाल, संयुक्त विकास आयुक्त संजय कुमार सिंह सहित एसपीएमयू व आईटीडीए के अधिकारी उपस्थित रहे, जबकि सभी जिलों के मुख्य विकास अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े।
