रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा भारत आंतरिक सुरक्षा का बजट भी 11 प्रतिशत बढ़ा
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नई दिल्ली | देश की सुरक्षा के लिए मोदी सरकार ने खोला खजाना, जानें कहां और कितने दिए पैसेअगले साल के रक्षा बजट में भले ही ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई हो, लेकिन इसमें रक्षा निर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में उपाय जरूर किए गए हैं। रक्षा क्षेत्र के कुल आवंटन को 4.78 लाख करोड़ से बढ़ाकर 5.25 लाख करोड़ किया गया है। लेकिन, बड़ी घोषणा यह है कि रक्षा अनुसंधान के मद में खर्च की जाने वाली 25 फीसदी राशि निजी उद्योगों, स्टार्टअप तथा अकादमियों को भी प्रदान की जाएगी। मकसद यह है कि देश के लिए जरूरी मिलिट्री प्लेटफार्म और उपकरणों का विकास और निर्माण देश में ही हो।
चालू वर्ष का कुल रक्षा बजट 4,78,196 करोड़ है, जिसमें करीब 1.16 लाख करोड़ पेंशन के लिए निर्धारित है। जबकि रक्षा आधुनिकीकरण की राशि 1.36 करोड़ है। मंगलवार को पेश रक्षा बजट की कुल राशि 5,25,166 करोड़ है, जिसमें 1.19 करोड़ पेंशन और 1.52 करोड़ की राशि रक्षा सेवाओं के आधुनिकीकरण के लिए रखी गई है। पेंशन की राशि में साल-दर-साल बढ़ोतरी स्वभाविक है, लेकिन आधुनिकीकरण के बजट में 16,309 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। कुल बढ़ोतरी 12 फीसदी की है। हालांकि, पिछले साल यह बढ़ोतरी 19 फीसदी की हुई थी। इसी प्रकार यदि कुल रक्षा बजट की बात करें तो पिछले साल उसमें 7.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी, जो इस बार 9.8 फीसदी के करीब है। यदि राशि में देखें तो कुल 46,970 करोड़ रुपये इस बार अधिक मिले हैं।
सरकार पिछले कुछ समय से रक्षा खरीद के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश कर रही है। इस दिशा में कुछ सफलता भी मिली है। इस रफ्तार को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने कुल रक्षा खरीद की 68 फीसदी खरीद देश में ही निर्मित सामग्री की करने की घोषणा की है। पिछले बजट में यह सीमा 58 फीसदी की थी। इससे ज्यादा से ज्यादा खरीद देश में बने रक्षा सामानों की हो सकेगी। दूसरे रक्षा शोध पर देश में जो धनराशि खर्च होती थी, ज्यादातर वह रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को ही दी जाती थी। लेकिन, बजट में घोषणा की गई है कि 25 फीसदी शोध राशि निजी उद्योगों, स्टार्टअप एवं अकादमियों को प्रदान की जाएगी ताकि वे भी रक्षा तकनीकों का विकास कर सकें और बाद में उनका निर्माण भी करें। वे डीआरडीओ के साथ मिलकर भी शोध कर सकेंगे। दरअसल, सरकार ने पिछले एक साल के दौरान करीब 200 से अधिक रक्षा तकनीकों को देश में ही निर्मित करने का निर्णय लिया है।
यह निजी क्षेत्र के सहयोग से ही संभव है। आम बजट में आंतरिक सुरक्षा के लिए जिम्मेदार गृहमंत्रालय के बजट में करीब 11 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई है। वर्ष 2022 – 23 में बजट के लिए 185776.55 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। पिछले वर्ष यह आवंटन 166546.55 करोड़ रुपये थे। इसी तरह महिला सुरक्षा पर फोकस करते हुए निर्भया फंड में करीब दोगुनी राशि आवंटित की गई है। पिछले बार 100 करोड़ रुपये की तुलना में इस बजट में 200 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। महिलाओं और बच्चो के प्रति साइबर अपराध के रोकथाम के लिए भी 176 करोड़ रुपये से ज्यादा आवंटित किए गए हैं। आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से बढ़ी चुनौतियों के मद्देनजर अर्धसैन्य बलो के बजट को बढ़ाया गया है।
साथ ही पुलिस आधुनिकीकरण और खुफिया तंत्र के लिए भी आवंटन बढ़ा है। सीआरपीएफ का बजट करीब दो हजार करोड़ रुपये बढ़ाकर 29324 करोड़ रुपये से ज्यादा कर दिया गया है। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के बजट में भी करीब एक हजार करोड़ की बढ़ोत्तरी करके 1293.37 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। बीएसएफ के बजट में भी करीब एक हजार करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी की गई है। आईटीबीपी का बजट आवंटन 6865 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7461 करोड़ रुपये किया गया है। बीएसएफ एयर विंग के लिए भी 157 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। खुफिया तंत्र और आतंकरोधी राष्ट्रीय आसूचना ग्रिड का भी आवंटन बढ़ा है।