September 7, 2025

Newz Studio

सरल और संक्षिप्त

बाणेश्वर महादेव में शिवभक्तों की हर मनोकामना होती है पूरी

बाणासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने बाणासुर को वरदान दिया था कि काशी में बाणेश्वर नाम से उसकी पूजा की जाएगा

 

उत्तरकाशी। जनपद के भटवाड़ी ब्लॉक के अंतर्गत कामर गांव में श्रावण मास पर बाणेश्वर महादेव मेला धूमधाम से मनाया गया। यह मेला हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार 27 तिथि श्रावण को मनाया जाता है। इस अवसर पर आस-पास के गांवों से भक्त दूध एकत्रित कर बाणेश्वर महादेव का अभिषेक करते है। मान्यता है कि बाणेश्वर महादेव में आने वाले सभी भक्तों की मनोकाना पूरी होती है।

आपको बता दें कि भटवाड़ी ब्लॉक के नाल्ड कडूड पट्टी के कामर गांव में बाणेश्वर महादेव में हर साल इस श्रावण मास में इस मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें बाणेश्वर महादेव के अभिषेक के लिए दूध लेकर जामक लॉन्थरु, बायना, मनेरी आदि गांवों से भक्त 8 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई कर मंदिर पहुंचते है। पुजारी का कहना है कि सावन में पहाड़ों पर दूध बहुतयात में होता है। इसलिये ग्रामीण अपने ईष्ट देव को दूध भेंट के रूप में देते हैं।

बाणासुर नाम का एक राजा था। जो भगवान शिव का परमभक्त था। शिव की अराधना के लिए उत्तरकाशी के इस इलाके में बाणासुर ने शिवलिंग स्थापित किया था। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने बाणासुर को वरदान दिया था कि काशी में बाणेश्वर नाम से उसकी पूजा की जाएगा। पुजारी बताते है कि शिव पुराण में भी इसका वर्णन है। जिसके अनुसार प्रत्येक काशी से 14 मील की दूरी पर गंगा के बायीं ओर भगवान बाणेश्वर महादेव का शिवलिंग स्थापित है।

पुजारी का कहना है कि पर्याय देखा जाता है कि शिवलिंग में उत्तर दिशा की ओर जलहरि होती है। जिससे शिवलिंग पर चढ़ाए गए दूध या जल की निकासी होती है। लेकिन बाणेश्वर महादेव में स्थापित शिवलिंग में कोई जलहरि नहीं होती है। उनको अभिषेक किया हुआ दूध या जल कहां जाता है। यह आज भी एक रहस्य बना हुआ है।पूजा के बाद होता है लोकनृत्य रासों-तांदी भगवान बाणेश्वर की अराधना के बाद आस-पास से आए ग्रामीण खुशी में लोकनृत्य रासों और तांदी करते है। जिसमें महिलाएं एक-दूसरे का हाथ पकड़कर गोल घेरा बनाकर लोकगीतों पर नृत्य करती है। वहीं, पुरूष भी ठीक इसी तरह से इस मेले में लोकनृत्य करते है।

बाणेश्वर महादेव के अभिषेक के लिए लाया गया दूध के आधे हिस्से से खीर बनाई जाती है। जो भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित की जाती है। वहीं, गांव की शादीशुदा बेटियां भी ससुराल से बाणेश्वर महादेव के इस मेले में शरीक होने आती है। जो महादेव के अभिषेक के लिए घर से दूध सहित अन्य भेंट लेकर आती है। मान्यता है कि बाणेश्वर महादेव का अभिषेक करने से संतान की प्राप्ति होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *