सरकार किसानों से ‘खुले मन’ से चर्चा करने को तैयार: कृषि मंत्री
नई दिल्ली | पिछले कई दिनों से जारी किसान आंदोलन का आज 15वां दिन हैं। इस दौरान केंद्र सरकार ने प्रदर्शनकारियों से अनुरोध किया था कि बुजुर्गों और बच्चों को घर वापस भेज दिया जाए, लेकिन इसके बावजूद भी यूपी गेट पर कई लोगों ने उनके अनुरोध पर को ध्यान नहीं दिया। वहां भीड़ बरकार है।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस सन्दर्भ में आज एक प्रेस कांफ्रेंस की। उन्होंने साफ किया कि सरकार किसानों के साथ खुले दिमाग से चर्चा करने के लिए तैयार है। कांफ्रेंस के दौरान तोमर ने कहा कि हम किसानों से उन प्रावधानों पर बात करने के लिए तैयार हैं, जिनपर उन्हें आपत्ति है। उन्होंने कहा – “सरकार बहुत जोर देकर यह कहना चाहती है कि कानूनों के वे प्रावधान जो किसान के लिए प्रतिकूलता पैदा करते हों, जिनमें किसानों का नुकसान हो, उन प्रावधानों पर सरकार खुले मन से विचार करने के लिए पहले भी तैयार थी, आने वाले कल में भी तैयार रहेगी।”
आपको बता दें कि इससे पूर्व किसानों ने बुधवार को सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। किसान नेताओं का कहना कि अगर तीनों कानून रद्द नहीं किये जाते, तो वे एक के बाद एक दिल्ली की सड़कों को बंद करेंगे। साथ ही इन कानूनों के विरोध में किसान 14 दिसंबर को राज्यों में जिला मुख्यालयों का घेराव करेंगे और उससे पहले 12 दिसंबर को दिल्ली-जयपुर राजमार्ग भी बंद किया जायेगा।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जो प्रस्ताव आया है उसमें बिल वापसी की बात नहीं है। सरकार संशोधन चाहती है। संशोधन के लिए किसान तैयार नहीं है। हम चाहते है पूरा बिल वापस हो। बिल वापसी के अलावा कोई रास्ता निकलता नजर नहीं आ रहा है।
सरकार तीन कृषि बिल लाई है उसी तरह से डैच् को लेकर भी बिल लाए। नेता शहनवाज हुसैन ने कहा कि सरकार किसानों को मजबूत करने के लिए बिल लाई है न कि कमजोर करने के लिए। मोदी जी के रहते किसानों के साथ कोई अन्याय नहीं कर सकता। दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष किसानों के कंधे को अपनी बैसाखी बनाना चाहता है। कांग्रेस और अन्य दलों को ऐसी ओछी हरकत नहीं करनी चाहिए।
कृषि कानून के खिलाफ किसानों का विरोध सिंघु बॉडर्र पर 15 वें दिन जारी है। भारतीय किसान यूनियन के मंजीत सिंह ने कहा, सरकार की मंशा किसानों के आंदोलन को कमजोर करने की है, लेकिन कई और किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली आ रहे हैं।
किसान नेताओं ने कहा कि यदि तीनों कानून रद्द नहीं किये जाते, तो एक के बाद एक दिल्ली की सड़कों को बंद किया जायेगा और किसान सिंघु बॉर्डर पार कर दिल्ली में प्रवेश करने के बारे में भी फैसला ले सकते हैं।