November 23, 2024

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भारत सरकार के इस कदम से भड़का भगौड़ा ज़ाकिर नाइक

इस्लामिक प्रचारक और उपदेशक जाकिर नाइक के संगठन ने केंद्र के कदम को अनुचित बताया है।
भारत सरकार के इस कदम से भड़का भगौड़ा ज़ाकिर नाइक

भारत सरकार के इस कदम से भड़का भगौड़ा ज़ाकिर नाइकनई दिल्ली | इस्लामिक प्रचारक और उपदेशक जाकिर नाइक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार की फाउंडेशन को गैरकानूनी एसोसिएशन घोषित करने की कार्रवाई पूरी तरह से मनमानी है। संगठन ने केंद्र के कदम को अनुचित बताया है।

संस्था ने कहा कि केंद्र की कार्रवाई अवैध, और यूएपीए अधिनियम के कठोर प्रावधानों के दुरुपयोग के बराबर है। यह दिखाने के लिए जरा सा भी सबूत नहीं है कि फाउंडेशन अतीत में कभी भी किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में लिप्त रही है। फाउंडेशन आईपीसी की धारा 153 (ए) या 153 (बी) के तहत दंडनीय कोई भी गैरकानूनी गतिविधि शामिल नहीं है।”

संगठन ने अपने जवाब में कहा कि फाउंडेशन एक पंजीकृत धर्मार्थ सार्वजनिक ट्रस्ट है और इसके अपने उद्देश्य और गतिविधियाँ हैं जो अन्य बातों के साथ-साथ स्कूलों, अनाथालयों, अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, आदि की स्थापना के अलावा धर्मार्थ, शैक्षिक, नैतिक और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देती हैं व योग्य छात्रों को छात्रवृत्ति और शैक्षिक सहायता भी देती है।

ट्रिब्यूनल फॉर अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट यानी यूएपीए ने शुक्रवार को डॉ जाकिर अब्दुल करीम नाइक को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार अपना वकालतनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। ट्रिब्यूनल के प्रमुख डीएन पटेल ने कहा कि उनके हस्ताक्षरों के उचित सत्यापन के बाद मलेशिया में भारतीय दूतावास के माध्यम से उनका वकालतनामा दायर किया जाना चाहिए। ट्रिब्यूनल ने भारत सरकार को निर्देश दिया कि वह सुनवाई की अगली तारीख से पहले गवाहों और मुख्य जांचकर्ता की अपनी सूची दाखिल करे।

मामले को विस्तृत सुनवाई के लिए 10 फरवरी, 2022 के लिए पोस्ट कर दिया गया है। भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार को जाकिर नाइक के वकालतनामा पर आपत्ति जताई और कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और संबंधित फैसले के अनुसार नहीं है। सॉलिसिटर जनरल ने यह भी कहा कि किसी को यह सत्यापन करना होगा कि डॉ जाकिर अब्दुल करीम नाइक के वकालतनामा पर हस्ताक्षर जो आईआरएफ के ट्रस्टी होने का दावा करते हैं, उसी व्यक्ति के हस्ताक्षर हैं।

चूंकि जाकिर नाइक एक भगोड़ा है, इसलिए वकालतनामे को मलेशिया में भारतीय दूतावास द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए। सुनवाई की अंतिम तिथि पर ट्रिब्यूनल ने इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) के तहत “गैरकानूनी एसोसिएशन” घोषित करने के केंद्र के फैसले की पुष्टि करने के लिए याचिका में जाकिर नाइक और आईआरएफ संगठन से जवाब मांगा था।