पेट्रोल-डीज़ल | आम आदमी की जेब से भरी सरकार की झोली
ख़ास बात
- 6 साल में पेट्रोल-डीजल से सरकार का टैक्स कलेक्शन 300 प्रतिशत बढ़ा
- 2014 में पेट्रोल पर टैक्स 10.38 था अब ये बढ़कर 32.90 रुपए हुआ
- डीजल पर 2014 में 4.52 टैक्स लेती थी अब 31.80 रुपए
नई दिल्ली | आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपइया। आम आदमी इसी कहावत के साथ जिंदगी बिता रहा है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर ये कहावत कुछ ऐसी हो जाएगी-आमदनी बढ़ी 35 प्रतिशत और पेट्रोल पर टैक्स करीब 220 प्रतिशतऔर डीजल पर 600 प्रतिशत बढ़ गया। ये आंकड़े मोदी सरकार के 2014 के दौरान सत्ता में आने से अब तक के हैं। लोकसभा में सरकार ने खुद ही बताया है कि पिछले 6 साल में पेट्रोल-डीजल से उनका टैक्स कलेक्शन 300 प्रतिशत बढ़ गया है।
आम आदमी की आमदनी और पेट्रोल-डीजल पर टैक्स का गणित
जब मई 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आई तो एक लीटर पेट्रोल पर टैक्स 10.38 रुपए था और अब ये बढ़कर 32.90 रुपए हो गया है। डीजल पर सरकार मई 2014 में 4.52 रुपए टैक्स लेती थी, जो अब 31.80 रुपए हो गया है। मई 2014 में पेट्रोल के दाम 71.41 रुपए और डीजल 56.71 रुपए पर था। लेकिन इस समय पेट्रोल के दाम 91.17 रुपए और डीजल के दाम 81.47 रुपए पर आ गए हैं। इस दौरान दाम के लिहाज से पेट्रोल करीब 30 प्रतिशत और डीजल करीब 45 प्रतिशत महंगा हुआ, लेकिन इसमें लगने वाला टैक्स 220 प्रतिशत (पेट्रोल) और 600 प्रतिशत (डीजल) बढ़ गया।
केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी के जरिए कुल 72,160 करोड़ रुपए कमाए थे। लेकिन सरकार 2020-21 के 10 महीनों में ही 2.94 लाख करोड़ रुपए कमा चुकी है। दूसरी तरफ, आपकी आमदनी की बात करें तो ये 2014 से 2021 के बीच 36 प्रतिशत बढ़ी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2014-15 में प्रति व्यक्ति आय 72889 रुपए सालाना थी जो 2020-21 में 99,155 रुपए हो गई।
एक साल में आपकी घटी, सरकार की बढ़ी
पिछले एक साल में देश की प्रति व्यक्ति आय करीब 9त्न घटी है। 2019-20 में प्रति व्यक्ति आय 1.08 लाख रुपए सालाना थी। यह 2020-21 में घटकर 99,155 रुपए प्रति वर्ष रह गई है। वहीं, केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल के टैक्स से अप्रैल 2019 से मार्च 2020 के बीच 2.39 लाख करोड़ कमाए। यह 2020-21 के पहले 10 महीने में ही 2.94 लाख करोड़ रुपए हो चुका है। यानी पिछले साल के मुकाबले सरकार पेट्रोल और डीजल से इस साल के 10 महीनों में ही 23 प्रतिशत ज्यादा कमा चुकी है।
कच्चा तेल हुआ सस्ता, पेट्रोल-डीजल महंगा
आपको तो पता ही होगा कि पेट्रोल-डीजल कच्चे तेल से बनता है। और कच्चे तेल के दामों का असर पेट्रोल-डीजल कीमतों पर सीधे तौर पर पड़ता है। मई 2014 में जब मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने, तब कच्चे तेल की कीमत 106.85 डॉलर प्रति बैरल थी। वहीं अभी कच्चे तेल की कीमत 63 डॉलर प्रति बैरल पर है। इसके बावजूद भी पेट्रोल के दाम घटने के बजाए बढ़कर 100 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच गए हैं।
इस साल 26 बार बढ़ी फ्यूल की कीमतें
इस साल पेट्रोल-डीजल के दाम जनवरी में 10 बार और फरवरी में 16 बार बढ़े, जबकि मार्च में कीमतें स्थिर हैं। इस लिहाज से 2021 में अब तक पेट्रोल-डीजल के दाम 26 बार बढ़ चुके हैं। 2021 में अब तक पेट्रोल 7.36 रुपए और डीजल 7.60 रुपए प्रति लीटर महंगा हुआ है।
डीजल महंगा होने से आपकी रसोई से लेकर आपके बजट पर पड़ता है असर
भारत में पेट्रोल और डीजल की सबसे ज्यादा खपत ट्रांसपोर्ट और एग्रीकल्चर सेक्टर में होती है। दाम बढऩे पर यही दोनों सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। चूंकि ये भारत के आम आदमी से जुड़े सेक्टर हैं। इसलिए पेट्रोल डीजल की कीमतें अप्रत्यक्ष रूप से भारत के आम आदमी की जेब पर ही असर डालती हैं। डीजल के दाम बढऩे से खेती से लेकर उसे मंडी तक लाना महंगा हो गया है। इससे आम आदमी का बजट बिगड़ सकता है। डीजल की कुल खपत का 99 प्रतिशत भाग ट्रांसपोर्ट में उपयोग होता है।
राज्य सरकारें वसूलती हैं अलग से टैक्स
मौजूदा कर व्यवस्था में हर राज्य अपने हिसाब से पेट्रोल और डीजल पर टैक्स लगाता है। केंद्र भी अपनी ड्यूटी और सेस अलग से वसूल करता है। पेट्रोल-डीजल का बेस प्राइज अभी करीब 32 रुपए है। इस पर केंद्र सरकार 33 रुपए एक्साइज ड्यूटी ले रही है। इसके बाद राज्य सरकारें अपने हिसाब से वैट और सेस वसूलती हैं।
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