November 21, 2024

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 17 साल बाद हटाया गया पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का नेमप्लेट

साल 2004 में जब अटल बिहारी वाजपेयी हार गए थे तब एनडीए के अध्यक्ष के तौर पर उन्हें यह कमरा दिया गया था।

020612-D-2987S-111.Secretary of Defense Donald H. Rumsfeld (left) meets with Indian Prime Minister Atal Bihari Vajpayee at his New Delhi, India, residence on June 12, 2002. Rumsfeld is on a 10-day tour of nine countries to meet with senior leaders and to visit with U.S. troops deployed abroad. DoD photo by Helene C. Stikkel. (Released).

नई दिल्ली । आखिरकार 17 साल बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नेमप्लेट कमरे के दरवाजे के पास से हटा दिया गया है। अब इस कमरे में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), के मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा बैठेंगे। हम बात कर रहे हैं संसद भवन के कमरा नंबर-4 की। यह कमरा बीजेपी के संसद भवन के ऑफ़िस के ठीक बगल में है। साल 2004 में जब अटल बिहारी वाजपेयी हार गए थे तब एनडीए के अध्यक्ष के तौर पर उन्हें यह कमरा दिया गया था। हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री इस कमरे में बहुत कम बैठते थे।

साल 2018 में पूर्व प्रधानमंत्री के निधन के बाद भी उनके नाम का यह नेम प्लेट इस कमरे के बाहर लगा हुआ था। उनके नेम प्लेट के ठीक बगल में अटल बिहारी वाजपेयी के बेहद करीबी और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का नेम प्लेट भी था। साल 2004 में बीजेपी की हार और यूपीए की जीत के बाद से कमरा नंबर-4 अटल बिहारी वाजपेयी को मिला था। चूकि पूर्व पीएम इस कमरे में काफी कम बैठते थे लिहाजा यह कमरा साल 2009 में लालकृष्ण आडवाणी को दिया गया और उनका नेम प्लेट भी लगाया गया था। साल 2019 में चुनाव से ठीक पहले तक आडवाणी यहां बैठते थे। हालांकि, 2014 में एक दिन के लिए उनकी नेमप्लेट हटा दी गई थी और वे नाराज होकर सेंट्रल हॉल में बैठ गए थे। उसके अगले ही दिन फिर से आडवाणी की नेमप्लेट लगा दी गई थी। बहरहाल अब इस कमरे में भाजपा के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बैठेंगे।

मंगलवार को इस कमरे के बाहर लगे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नेमप्लेट हटा दिया गया। इससे पहले जेपी नड्डा राज्यसभा के सदस्य के लिए रिजर्व किये गये एक कमरे का इस्तेमाल किया करते थे। आपको बता दें कि साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ में जब सत्ता आई तब उसके बाद लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेताओं को पार्टी के मार्गदर्शक ग्रुप का सदस्य बनाया गया। पार्टी के फैसलों में इन नेताओं की भूमिका काफी कम होती है।