किसानों ने ‘विश्वासघात दिवस’ मनाया, राष्ट्रपति को पत्र लिख फिर आंदोलन के दिए संकेत
नई दिल्ली| देश में आज किसान आज केंद्र सरकार के खिलाफ लामबंद हो ‘विश्वासघात दिवस’ मना रहे है। इससे पहले कृषि कानूनों के खिलाफ और अन्य मांगों को लेकर सालभर चलकर स्थगित हुआ किसान आंदोलन क्या दोबारा शुरू हो सकता है? दरअसल, आज (31 जनवरी) को पूरे देश में ‘विश्वासघात दिवस’ मना रहे किसानों के नेतृत्वकर्ता संयुक्त किसान मोर्चा ने इसका इशारा सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखी चिट्ठी में दिया।
मोर्चा ने कहा है कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल द्वारा किसानों के मुद्दों को पूरा करने के लिए सरकार की तरफ से आश्वासन दिए जाने के बाद बॉर्डर पर लगे तमाम धरना-प्रदर्शनों को उठा लिया गया पर सरकार ने उनमें से कोई वादा पूरा नहीं किया है। राष्ट्रपति को भेजे पत्र में मोर्चे ने सिलसिलेवार अपनी मांगों को बताते हुए फिर सरकार की वादाखिलाफी से वाकिफ कराया है और उनसे इन मांगों को जल्द से जल्द पूरा करवाने की अपील भी की।
संयुक्त किसान मोर्चा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजे पत्र कहा कि ‘देश के किसानों ने केंद्र सरकार के किसान विरोधी कानून को रद्द करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी हासिल करने और अन्य किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ एक अभूतपूर्व आंदोलन चलाया। इस आंदोलन के चलते आपके हस्ताक्षर से तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द किया गया। उसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने 21 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर बकाया छह मुद्दों की तरफ उनका ध्यान आकृष्ट किया। उसके जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने 9 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा के नाम एक पत्र (सचिव/ऐएफडब्लू/2021/मिस/1) लिखा, जिसमें उन्होंने कुछ मुद्दों पर सरकार की ओर से आश्वासन दिए और आंदोलन को वापस लेने का आग्रह किया।
इस चिट्ठी पर भरोसा कर संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली के बॉर्डर पर लगे मोर्चा और तमाम धरना प्रदर्शनों को 11 दिसंबर से उठा लेने का निर्णय किया’। मोर्चे के नेताओं ने राष्ट्रपति से कहा कि ‘आपको यह बताते हुए हमें बेहद दुख और रोष हो रहा है कि एक बार फिर देश के किसानों के साथ धोखा हुआ है। भारत सरकार के 9 दिसंबर के जिस पत्र के आधार पर हमने मोर्चे उठाने का फैसला किया था, सरकार ने उनमें से कोई वादा पूरा नहीं किया है। इसलिए पूरे देश के किसानों ने आज 31 जनवरी 2022 को विश्वासघात दिवस मनाने का फैसला लिया है’।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि सचिव के पत्र में किसानों से उनकी मांगों को पूरा करने को लेकर किए गए वादे और सरकार द्वारा उन्हें पूरा ना किए जाने का ब्यौरा राष्ट्रपति को सिलसिलेवार देते हुए कहा, महामहिम, आप इस देश के मुखिया हैं। आपका संवैधानिक दायित्व है कि आप देश के सबसे बड़े वर्ग अन्नदाता के हितों की रक्षा करें और सरकार को आगाह करें। आप जानते हैं कि किसानों के खून पसीने की वजह से आज देश खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हुआ है। किसानों के अथक प्रयास से ही आर्थिक मंदी और लॉकडाउन के बावजूद भी देश का कृषि उत्पाद लगातार बढ़ा है।
किसानों से खिलवाड़ करना पूरे देश के लिए आत्मघाती हो सकता है। उन्होंने पत्र के आखिर में कहा कि इस पत्र के माध्यम से देश के अन्नदाता देश के मुखिया से अनुरोध करते हैं कि सरकार उनके विश्वास को न तोड़े। सत्ता किसान के धैर्य की परीक्षा लेना बंद करे। आप केंद्र सरकार को उसके लिखित वादों की याद दिलाएं और इन्हे जल्द से जल्द पूरा करवाएं। यदि सरकार अपने लिखित आश्वासन से मुकर जाती है तो किसानों के पास आंदोलन को दोबारा शुरू करने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं बचेगा।