December 21, 2024

Newz Studio

सरल और संक्षिप्त

अमेठी | गांधी परिवार के गढ़ में इस बार अलग चुनावी रंग

अमेठी में कांग्रेस अपने वजूद को बचाने की लड़ाई लड़ रही है तो भाजपा और सपा अपने दबदबे को कायम रखने की जुगत में लगे हैं।
अमेठी

अमेठीनई दिल्ली । गांधी-नेहरू परिवार के गढ़ में यह विधानसभा चुनाव एक अलग रंग में दिख रहा है। यहां कांग्रेस अपने वजूद को बचाने की लड़ाई लड़ रही है तो भाजपा और सपा अपने दबदबे को कायम रखने की जुगत में लगे हैं।

चार विधानसभा वाले जिले में चुनाव जमीनी मुद्दों और बड़े नामों के बीच उलझ कर रह गया है। लोग सड़क, रोजगार और आवारा पशुओं के मुद्दों को लेकर मुखर हैं तो वहीं एक वर्ग राम मंदिर, राशन और सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं का भी गुणगान करता फिर रहा है। आखिर में मुद्दा नेता से नजदीकी और उसकी ऊंची पहुंच पर आकर ठहर रहा है।

अमेठी विधानसभा की राजनीति यहां के राजघराने के इर्द-गिर्द घूमती रही है। यहां के रामनगर में बना भूपति भवन अमेठी की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में है। रामनगर से सटे छावनी गांव के निवासी जमुना मटियारी कहते हैं कि भाजपा ने डॉ. संजय सिंह और कांग्रेस ने आशीष शुक्ला को मैदान में उतारकर चुनाव को रोचक बना दिया है। अब चुनाव मुद्दों के बजाय चेहरों पर आ गया है।

भादर के ऋषभ तिवारी कहते हैं कि लोग घूसखोरी और आवारा पशुओं से परेशान हैं। भादर के ही कुछ लोगों का अलग दर्द है। यह 22 गांवों को सुल्तानपुर जिले में शामिल कराने की बात कर रहे हैं और कहते हैं हमारा वोट उसी को जाएगा जो हमारे मुद्दे की बात करेगा। पिछली बार अमेठी विधानसभा से भाजपा की गरिमा सिंह विधायक बनीं। इस बार पार्टी ने उनका टिकट काट दिया है और डा. संजय सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है।

सपा के उम्मीदवार गायत्री प्रसाद प्रजापति की पत्नी महाराजी देवी हैं। राजेश प्रजापति कहते हैं कि मंत्री जी के साथ अन्याय हुआ है। जनता अपने वोट से न्याय करेगी। यहां फिलहाल त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है।