ओमिक्रॉन पर कारगर है कोविशील्ड वैक्सीन या लगानी होगी बूस्टर डोज
नई दिल्ली| दुनियाभर में ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे के बीच भारत में कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के प्रमुख अदार पूनावाला का भी बयान आ गया है। पूनावाला ने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो नए कोरोना वैरिएंट के लिए खासतौर पर बनी कोविशील्ड वैक्सीन बनाने पर विचार किया जा सकता है। अदार पूनावाला ने हालांकि, यह कहा कि अगले 2-3 हफ्तों में यह पता लग जाएगा कि कोविशील्ड वैक्सीन नए वैरिएंट के खिलाफ कितनी कारगर है। ऐसे में अगर जरूरी हुआ तो ओमिक्रॉन को ध्यान में रखते हुए बूस्टर डोज भी संभव है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक भी अभी रिसर्च कर रहे हैं, उनके शोध के आधार पर हम एक नई वैक्सीन बनाने पर विचार कर सकते हैं, जो बूस्टर डोज की तरह काम करेगी। रिसर्च के आधार पर ही हम वैक्सीन की तीसरी और चौथी खुराक देने के बारे में निर्णय पर पहुंच पाएंगे।’ हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से लड़ने के लिए खास वैक्सीन ही चाहिए, यह जरूरी नहीं। पूनावाला ने कहा कि अगर बूस्टर डोज की जरूरत पड़ेगी तो कंपनी के पास पहले से पर्याप्त खुराकें हैं, जो समान कीमत पर ही मुहैया कराई जाएगी। अदार पूनावाला ने कहा, ‘हमारे पास सैकड़ों लाखों खुराकें स्टॉक में पड़ी है। हमने भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 20 करोड़ डोज रिजर्व रखी हैं।
अगर सरकार बूस्टर डोज का ऐलान करती है तो हमारे पास पर्याप्त संख्या में वैक्सीन है। हालांकि, फिलहाल प्रमुखता कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज न लेने वालों का टीकाकरण पूरा करना होना चाहिए।’ हालांकि, सरकार ने फिलहाल यह स्पष्ट कर दिया है कि निकट भविष्य में बूस्टर डोज दिए जाने की उसकी कोई योजना नहीं है। केंद्र की कोरोना समिति के चीफ डॉक्टर एनके अरोड़ा ने कहा था कि भारत और यूरोप-उत्तरी अमेरिकी देशों में स्थिति एक जैसी नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी आबादी की एक बड़ी संख्या कोरोना संक्रमण के संपर्क में आई और वैक्सीन अतिरिक्त सुरक्षा मुहैया करा रही है।
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