देश | आतंकियों से लड़ते शहीद हुए सैनिक पिता का बेटा बना सेना में अधिकारी
- आतंकियों से लड़ते शहीद हुए सैनिक पिता का बेटा बना सेना में अधिकारी
- मार्च 2000 में राजौरी इलाके में लांस नायक हरीश चंद्र को आतंकियों ने बनाया था निशाना
देहरादून । इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) के पासिंग आउट परेड के बाद चंचल सिंह सेना में अधिकारी नियुक्त हो गए हैं। मार्च 2000 का वह दौर याद करते हैं। 5 साल के थे। बताया गया जम्मू कश्मीर के राजौरी इलाके में सेना के एक जवान को आतंकियों ने निशाना बनाया है। वह उनके पिता थे। आतंकियों से लड़ते हुए पिता लांस नायक हरीश चंद्र सिंह शहीद हुए तो बेटे ने भी सेना में जाने को तय कर लिया। आज कंधों पर सजे सितारे उसके दृढ़ आत्मविश्वास को प्रदर्शित करते हैं।
पिता की शहादत के समय चंचल सिंह मुनस्यारी गांव में रहते थे। बोथी गांव के स्कूल से चौथी कक्षा तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें मध्य प्रदेश के सागर में युद्ध स्मारक हॉस्टल भेज दिया गया है। यहां पर उन बच्चों को भर्ती कराया गया था जिनके पिता या तो युद्ध में मारे गए थे या फिर आतंकियों और दुश्मनों से लोहा लेते हुए स्थायी रूप से निशक्त हो गए थे। चंचल ने यहां पर केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई करते थे। चंचल कहते हैं कि वहां मेरे जैसे करीब 50 छात्र थे जिन्होंने अपने पिता को खो दिया था। हम में से करीब 50 फीसदी भारतीय सेना में शामिल हो गए हैं।
अपने छात्रावास के दिनों को याद करते हुए चंचल कहते हैं कि हम शायद ही कभी अपने जीवन की सबसे बड़ी क्षति को भूल पाएंगे। लेकिन हमने सच्चाई को स्वीकार किया। इस सच्चाई ने हमें वर्दी पहनने के लिए और भी दृढ़ संकल्पित कर दिया। चंचल कहते हैं कि मेरे पिता ने अपने देश को गौरवान्वित करने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी। अपने पिता के समान सेना में शामिल होने का फैसला किया। चंचल के पिता सेना की पृष्ठभूमि से आते हैं। उनके दादा सेना में हवलदार थे। वे भी ड्यूटी के दौरान अपनी शहादत दे चुके हैं। चंचल सिंह वर्ष 2013 में एक सिपाही के रूप में नियुक्त हुए। वर्ष 2018 में आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) में चयनित हुए। एसीसी सैनिकों को अधिकारी बनने में मदद करने के लिए तैयार करता है।
चंचल सिंह कहते हैं कि मेरी मां अभी भी आशंकित है। वह मेरे पिता को खोने के सदमे से पूरी तरह से उबर नहीं पाई है लेकिन मैंने उनसे कहा कि डरो मत क्योंकि रक्षा बलों का हिस्सा होना वीरता और ज्ञान की विरासत में शामिल होना है। अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को देते हुए वे कहते हैं कि भारतीय सेना में मेरी कमीशनिंग मेरे दिवंगत पिता को श्रद्धांजलि है। वे मेरे हीरो हैं। उन्हीं की वजह से आज मैं यहां हूं। उनकी मां सीता देवी ने इस मौके पर कहा कि चंचल ने यह रास्ता अपनी मर्जी से चुना है। हमने अपने परिवार के पुरुषों को देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देते देखा है। मैं उनके लंबे और सफल जीवन की कामना करती हूं।