वुहान लैब से लीक हुआ कोरोना वायरस, खुली चीन की पोल
ख़ास बात
- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं
- एंथनी फाउची के ई-मेल साबित करते हैं कि कोरोना की उत्पत्ति वुहान के लैब से ही हुई
पुणे। अब भारतीय वैज्ञानिक दंपत्ति ने दावा किया है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान लैब से लीक हुआ था। पुणे के रहने वाले वैज्ञानिक दंपत्ति डॉ राहुल बाहुलिकर और डॉ मोनाली राहलकर ने दुनिया के अलग-अलग देशों में बैठे लोगों के साथ मिलकर इंटरनेट से इस संबंध में सबूत जुटाए हैं। जिन लोगों ने सबूत एकत्रित किए हैं, वे पत्रकार, गुप्तचर या खुफिया एजेंसियों के लोग भी नहीं हैं।
इनका मुख्य स्रोत ट्विटर और दूसरे ओपन सोर्स हैं। इन लोगों ने अपने समूह को ड्रैस्टिक का नाम दिया है। इनका मानना है कि कोरोना चीन के मछली बाजार से नहीं वुहान की लैब से निकला है। इसने अब दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।
ये लोग चीनी दस्तावेज का अनुवाद कर अपने स्तर पर इसकी जांच कर रहे हैं। चाइनीज एकेडमिक पेपर और गुप्त दस्तावेजों के अनुसार इसकी शुरुआत साल 2012 से होती है। उस समय छह खदान श्रमिकों को यन्नान के मोजियांग में उस माइनशाफ्ट को साफ करने भेजा गया था जहां चमगादड़ों का आतंक था। उन श्रमिकों की वहां मौत हो गई। साल 2013 में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के डायरेक्टर डॉ शी झेंगली और उनकी टीम माइनशाफ्ट से सैंपल को अपने लैब लेकर आ गई।
शी का कहना है कि श्रमिकों की मौत गुफा में मौजूद फंगस की वजह से हो गई। इसके उलट ड्रैस्टिक का दावा है कि शी को एक अज्ञात कोरोना स्ट्रेन मिला जिसे उन लोगों ने आरएसबीटीकोव/4491 का नाम दिया। रिपोर्ट के अनुसार वुहान वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट के साल 2015-17 के पेपर में इस का विस्तार से जिक्र किया गया है। ये बहुत ही विवादित प्रयोग थे जिन्होंने वायरस को बहुत अधिक संक्रामक बना दिया।
यह थ्योरी बताती है कि एक लैब की गलती कोविड-19 के विस्फोट का कारण बनी। एक चीनी वायरोलॉजिस्ट ने कहा है कि अमेरिका के शीर्ष कोरोनावायरस सलाहकार एंथनी फाउची के ई-मेल साबित करते हैं कि कोरोना की उत्पत्ति वुहान के लैब से ही हुई थी। डॉक्टर ली-मेंग यान जो उन लोगों में से थीं, जिन्होंने सबसे पहले कोरोना के वुहान की लैब से लीक हुए होने की बात कही थी। डॉक्टर ली-मेंग यान कोरोना पर शोध करने वाले पहले लोगों में से एक थीं और उन्होंने खुलासा किया था कि बीजिंग पर इस मामले को छुपाने का आरोप लगाने के बाद उन्हें छिपने के लिए मजबूर किया गया।