मुख्यमंत्री के जनता दरबार पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
देहरादून | उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस की गढ़वाल मंडल मीडिया प्रभारी गरिमा मेहरा दसौनी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में हुए जनता दरबार पर बड़े सवाल खड़े किए साथ ही दसौनी ने कहा एक तो बड़ी देर कर दी मेहरबां आते-आते, साढ़े 4 साल बीत गए प्रदेश के मुख्य का मात्र एक जनता दरबार देखने को मिला जिसमें शिक्षिका का घोर अपमान तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के द्वारा किया गया था और दूसरा कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का था जिसमे हल्द्वानी के व्यापारी ने मंत्री के सामने ही ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली थी।
दसौनी ने कहा कि आज जब एक अरसे के बाद पुष्कर सिंह धामी के द्वारा दोबारा जनता दरबार लगाया गया तो जनता को घोर अपमान सहना पड़ा। जनता दरबार के दौरान पहुंचे लोगों से मुख्यमंत्री ने मिलना तक गवारा नहीं समझा । दसौनी ने कहा इसे दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि मात्र एक से डेढ़ घंटे चले इस जनता दरबार में एक चौथाई जनता से ही मुख्यमंत्री मिल पाए और बाकी लोगो को बैरंग लौटा दिया गया।
सालों बाद होने वाले इस जनता दरबार से लोगों को बहुत अपेक्षाएं/ आकांक्षाएं थी, लोगों ने सोचा कि उनका कष्ट उनकी परेशानियां जब वह मुखिया के सामने रखेंगे तो शायद वह दूर हो जाएंगी लेकिन बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले वाली कहावत आज जनता दरबार में चरितार्थ होते हुए दिखी। दसौनी ने कहा जनता दरबार से मीडिया को दूर रखा जाना भी समझ से परे है। दसोनी ने कहा कि सूत्रों से पता चला है कि इस जनता दरबार का कोई आमंत्रण मीडिया बंधुओं को नहीं भेजा गया था और तो और जब स्वतः संज्ञान लेकर मीडिया बंधु जनता दरबार में पहुंचे तो उन्हें वहां से बैरंग लौटा दिया गया और एंट्री ना देकर अपमानित भी किया गया।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शायद भूल रही है कि यह लोकतंत्र है और लोकतंत्र में चौथे स्तंभ की बहुत बड़ी जिम्मेदारी और भूमिका होती है। ऐसे में जनता दरबार को भी पारदर्शी ही रखा जाना चाहिए था आखिर जनता दरबार में ऐसा क्या हो रहा जो मीडिया बंधुओं के साथ साझा नहीं किया जा सकता थाऔर क्या कारण है कि सादर आमंत्रण जनता को दिए जाने के बावजूद मुख्यमंत्री ने जनता की इस कदर बेकद्री की। दसोनी ने कहा इस तरह का तानाशाही रवैया डबल इंजन वालों ? को भविष्य में बहुत महंगा पड़ेगा।