October 19, 2025

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पौड़ी में पहली बार क्लस्टर आधारित पंगास मत्स्य पालन योजना की शुरुआत

इस योजना का मुख्य उद्देश्य मत्स्य पालकों को कम समय में अधिक से अधिक लाभ देते हुए मुर्गी पालन एवं पॉलीहाउस जैसी गतिविधियों को अपनाते हुए समन्वित मत्स्य पालन करना है। आपको बता दें कि इस योजना में प्रवासियों द्वारा भी विशेष रुचि दिखाई गई है जिसके बाद बाहर से आए प्रवासियों के लिए भी टैंक बनाए जा रहे हैं।

 

पौड़ी: ज़िला योजना के अन्तर्गत इस वर्ष जनपद पौड़ी मे पहली बार क्लस्टर आधारित पंगास मत्स्य पालन योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य मत्स्य पालकों को कम समय में अधिक से अधिक लाभ देते हुए मुर्गी पालन एवं पॉलीहाउस जैसी गतिविधियों को अपनाते हुए समन्वित मत्स्य पालन करना है।

वर्तमान में जनपद के ब्लॉक रिखणीखाल के ग्राम झर्त, कर्तिया, जुइसेर, ढिकोलिया में 30 मत्स्य तालाबों का कार्य पूर्ण किया जा चुका है। पौड़ी के ज़िलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने बताया कि इस बार ब्लॉक रिखणीखाल अंतर्गत ग्राम कोटनाली मे भी कुल 11 मत्स्य तालाबों का कार्य पूर्ण हो चुका है।

इसके साथ ही पौड़ी ब्लॉक के अन्तर्गत भी कमेड़ा, रैदुल, पड़िया, अयाल मे मत्स्य तालाब निर्माण का कार्य चल रहा है। जबकि कल्जीखाल ब्लॉक में डांग, पैडुल मैं मुर्गी सह मत्स्य पालन यूनिट का निर्माण करवाया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि पौड़ी और पाबो ब्लॉक मे महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा समूह मे समन्वित मत्स्य पालन का कार्य हेतु कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही नैनीडांडा, पाबौ, थैलीसैन, यमकेश्वर, पोखरा और द्वारीखाल ब्लॉक मे भी मुर्गी के साथ मत्स्य पालन योजना हेतु स्थल चयन किया जा चुका है।

जिला योजना के अन्तर्गत कृषि एवं कृषि अलाइड विभाग को प्राथमिकता देते हुए मत्स्य विभाग को समन्वित मत्स्य पालन यूनिट, प्रचार-प्रसार, समन्वित मत्स्य पालन, संरक्षण एवं पंगास मत्स्य पालन योजना हेतु 90 लाख की धनराशि भी दे दी गई है। पंगास मत्स्य पालन योजना को अपना कर काश्तकार 8 माह के अन्दर 2 से 3 कुंटल तक मत्स्य उत्पादन कर 50 हज़ार से 60 हजार तक का लाभ ले सकते हैं।

उन्होंने बताया कि इस वर्ष लगभग 200 मत्स्य पालन यूनिट का निर्माण प्रस्तावित है जिनमें से प्रथम चरण मे 30 यूनिटों को मुर्गी पालन यूनिट से जोड़कर समन्वित मत्स्य पालन यूनिट बनाई जा रही है। जो व्यक्ति इस योजना का लाभ लेना चाहते है वो मत्स्य पालन विभाग में सम्पर्क कर सकते है।

आपको बता दें कि इस योजना में प्रवासियों द्वारा भी विशेष रुचि दिखाई गई है जिसके बाद बाहर से आए प्रवासियों के लिए भी टैंक बनाए जा रहे हैं।

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