चिंतन शिविर प्रदेश के लिए प्रभावशाली होगा साबित-मुख्यमंत्री धामी
मसूरी: तीन दिवसीय चिंतन शिविर के समापन के बाद पत्रकारों से वार्ता करते हुए पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि तीन दिवसीय चिंतन शिविर में सभी विभागों के अधिकारियों ने अपने अपने स्तर से कई योजनाओं पर अपने प्रेजेंटेशन दी। और अंत में एक सकारात्मक वातावरण तैयार हुआ है। उन्होने कहा कि उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को कैसे आदर्श बनाया जाए । सरलीकरण समाधान और निस्तारण को सरल किया जाए। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पनाओं के अनुसार कार्य व्यवहार और कार्य संस्कृति का विकास होगा। निश्चित रूप से आने वाले समय में हमारा जो सशक्त उत्तराखंड बनाये जाने को लेकर 5 और 10 सालों के लिए विकास का रोड मैप तैयार किया जायेगा। प्रधानमंत्री की योजनाओं पर प्राथमिकता के आधार पर काम किया जा रहा है। स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक हमारी सरकार पहुंचे।
ग्राम सभा में सभी अधिकारी और मंत्रीओं को ग्रामों में चौपालों लगाकर उनकी समस्याओं को समाधान करेगे। प्रदेशों के सभी क्षेत्रों में बहुउद्देशीय शिविर लगाए जाएंगे समाधान चौपाल लगाई जाएगी और आम आदमी के जीवन में खुशियां और उसे बदलने का काम सरकार करेगी। उन्होने कहा कि 3 दिन के चिंतन शिविर में जो अमृत निकलेगा वह उत्तराखंड के विकास में प्रभावशाली साबित होगा।
उत्तराखंड को वर्ष 2025 तक देश के श्रेष्ठ राज्यों की श्रेणी में लाने का सरकार ने संकल्प लिया है। यह आवश्यक भी और इसकी सराहना की जानी चाहिए, लेकिन इसे हासिल करने को हर स्तर पर दायित्व बोध, आमजन की तकलीफों का त्वरित समाधान, सभी क्षेत्रों का चहुंमुखी विकास जैसे विषयों को लेकर सजगता, संवेदनशीलता होनी आवश्यक है। इसमें नौकरशाही की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि उसे ही राज्य की दशा और दिशा तय करनी है।
वहीं मुख्य सचिव ने नौकरशाही को अधिक खरी-खरी सुनाई और कहा कि जो अधिकारी निर्णय लेने से कतराते हैं, उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लेनी चाहिए। बात भी सही है कि यदि जनहित के कार्यों को वर्षों तक अटकाए रखा जाता है तो यह जनता के प्रति किसी बड़े अपराध से कम नहीं है। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव, दोनों ने ही नौकरशाही को कार्यसंस्कृति में बदलाव लाते हुए राज्योन्मुखी व जनोन्मुखी सोच अपनाने का संदेश दिया है। बदली परिस्थितियों में यह आवश्यक भी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि नौकरशाही इस संदेश को समझते हुए अपनी कार्यशैली में बदलाव लाएगी। आखिर, प्रश्न राज्य को संपन्न और सक्षम बनाने का है।