November 21, 2024

Newz Studio

सरल और संक्षिप्त

साइबर हैकर्स की मदद से घातक योजना बना रहा चीन

चीनी हैकर्स ने पिछले कुछ महीनों भारत के एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी, डिफेंस कॉट्रेक्ट और टेलीकॉम सेक्टर पर टारगेट किया है।

 निशाने पर देश के दूरसंचार और रक्षा सेक्टर

नई दिल्ली। वास्तिवक नियंत्रण रेखा के समीप गलवान घाटी में भारतीय सेना के हाथों बुरी तरह झटाका खा चुका चीन अब साइबर हैकर्स की सहायता से भारत की रक्षा, दूरसंचार और एयरोस्पेस से जुड़ी संवेदनशील जानकारियों में सेंध लगाने में जुट गया है। साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि चीनी सेना की खुफिया यूनिट जो भारत से लगी सीमा पर नजर रखती है, अब उसके निशाने पर देश के संवेदनशील सेक्टर हैं। अमेरिका की साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि पीएलए की मिलिट्री इंटेलिजेंस यूनिट 69010 भारत की जासूसी के लिए साइबर हैकर्स की मदद ले रही है। चीनी हैकर्स ने पिछले कुछ महीनों भारत के एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी, डिफेंस कॉट्रेक्ट और टेलीकॉम सेक्टर पर टारगेट किया है।

रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत समेत दुनिया के देशों के खिलाफ साइबर हैकर्स की टीम, जिन्हें रीड फोक्सट्रोड नाम दिया गया है वो पिछले साल से ही सक्रिय हैं। चीनी मिलिट्री इंटेलिजेंस यूनिट 69010 का हेडक्वार्टर जिनजियांग में हैं, जिसे साल 2015 में बनाया गया था और यह पीएलए स्ट्रेजिक सर्पोट फोर्स (पीएलए-एसएसएफ) के तहत काम करती है। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े जानकारों के मुताबिक चीनी हैकर्स की गतिविधियों में पिछले कुछ सालों में बड़ा इजाफा हुआ है और देश के रक्षा प्रतिष्ठान समेत क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर चीनी साइबर अटैक का खतरा बढ़ा है। चीनी साइबर हैकर्स डीआरडीओ समेत भारत के स्पेस और न्यूक्लियर प्रोग्राम में सेंध लगाने के लिए साइबर हमले का सहारा ले रहे हैं।

सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक चीन के साइबर हैकर्स जिस तरह से भारत के रक्षा और टेलीकॉम सेक्टर को निशाना बनाने में लगे हुए हैं, उससे साफ पता चलता है कि चीन भारत की बढ़ती शक्ति से परेशान है। चीन ये पता लगाने में लगा हुआ है कि भारत की रक्षा तैयारियां क्या-क्या हैं और साथ ही एयरोस्पेस से लेकर न्यूक्लियर के क्षेत्र में भारत के पास किस तरह की टेक्नोलॉजी है। चीन सीमा विवाद के दौरान भारत के पावर ग्रिड से लेकर टेलीकॉम सेक्टर को भी निशाना बना सकता है, ऐसे में हमें चीन से सचेत रहने की खासी जरूरत है।