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कांवड़ यात्रा रद्द होने से व्यापारी मायूस, सरकार से की राहत की मांग

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लगभग 15 दिन चलने वाले इस कांवड़ मेले में हर साल करोड़ों की संख्या में शिव भक्त हरिद्वार पहुंचते हैं और गंगाजल भरकर अपने-अपने गंतव्य की ओर जाते हैं।

 

हरिद्वार: कांवड़ यात्रा रद्द हो जाने के बाद हरिद्वार के व्यापारियों में मायूसी छा गई है। यात्रा के रद्द हो जाने से हरिद्वार में व्यापारियों को करोड़ों रुपए का झटका लगने का अनुमान है। हर साल कांवड़ यात्रा में विभिन्न राज्यों से करोड़ों शिवभक्त गंगाजल लेने हरिद्वार पहुंचते हैं। ऐसे में निराश व्यापारी सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं।

उत्तर भारत के सबसे बड़े मेले – कांवड़ यात्रा – को सरकार ने पड़ोसी राज्यों की सरकारों के साथ विचार-विमर्श कर रद्द करने का फैसला लिया है। हरिद्वार में होने वाला कांवड़ मेला अगले महीने 6 जुलाई से शुरू होने वाला था। लगभग 15 दिन चलने वाले इस कांवड़ मेले में हर साल करोड़ों की संख्या में शिव भक्त हरिद्वार पहुंचते हैं और गंगाजल भरकर अपने-अपने गंतव्य की ओर जाते हैं।

इस मेले से हरिद्वार के कई छोटे-बड़े व्यापारियों का रोजगार जुड़ा हुआ है। यही कारण है कि कांवड़ यात्रा के रद्द हो जाने से हरिद्वार के व्यापारी निराश हैं। व्यापारियों का कहना है कि पिछले साल नवंबर महीने से कभी ट्रेनों का संचालन बंद होने से तो उसके बाद कोरोना महामारी फैल जाने के कारण हरिद्वार का व्यवसाय पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है।

कोरोना महामारी के चलते सरकार ने चारधाम यात्रा को भी इस बार रद्द कर दिया है। चारधाम यात्रा के बाद अगले महीने शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा से काफी उम्मीदें थी। अब उसको भी रद्द कर दिया गया है। व्यापारी नेताओं ने कहा कि सरकार को व्यवस्था बनाकर कोई बीच का मार्ग निकालना चाहिए। जिससे यह पारंपरिक मेला भी संपन्न हो सके और उसके अलावा मेले से जुड़ी हजारों-लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट भी ना आए।

सरकारी प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि सरकार ने मेले को पारंपरिक स्वरूप में संपन्न ना कराए जाने का निर्णय लिया है। इस मेले में करोड़ों की संख्या में यात्री आते हैं ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवा पाना मुश्किल होगा। इसलिए जान है तो जहान है की धारणा को सर्वोपरि मानते हुए मेले के स्वरूप में परिवर्तन किया गया है। अन्य राज्यों की सरकारों से वार्ता कर कहा गया है कि उनके यहां हरिद्वार से गंगाजल भरकर ले जाने वाली समितियों के कुछ सदस्य हरिद्वार से गंगाजल भरकर ले जा सकते हैं।

इसमें कोई दोराय नहीं कि धर्मनगरी हरिद्वार में पिछले कई महीनों से कोई खास रौनक देखने को नहीं मिल रही है। नवंबर-दिसंबर महीने में ट्रेनों का संचालन ना होना और उसके बाद कोरोना महामारी ने धर्मनगरी हरिद्वार की छटा और अर्थतंत्र को बिगाड़ कर रख दिया है। यही कारण है कि हरिद्वार के व्यापारी सरकार से लगातार राहत की गुहार लगा रहे हैं।