September 3, 2025

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सरल और संक्षिप्त

कोरोना काल में हॉस्पिटल व कालाबाज़ारियों की बम्पर लाटरी

शहर में मौतों व कालाबाज़ारियों का मच रहा शोर, प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग मौन।
बिहार में ब्लैक फंगस महामारी घोषित
  • कोरोना काल में हॉस्पिटल व कालाबाज़ारियों की बम्पर लाटरीकोरोना काल में लगी कुछ हॉस्पिटल व कालाबाज़ारियों की बम्पर लाटरी
  • जनता के लिए महामारी बनी काल, मोटे खर्च पर भी नहीं मिल रहा इलाज
  • शहर में मौतों व कालाबाज़ारियों का मच रहा शोर, प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग मौन

हरिद्वार। कोरोना काल कुछ निजी हॉस्पिटल संचालकों व कालाबाज़ारियों के लिए बम्पर लाटरी बन कर आया है। जबकि जनता के लिए कोरोना महामारी एक काल बन कर आया है। कोरोना काल में हर तरफ मरीजों को ऑक्सीजन, वैंटिलेटर, बैड, रेमडेसिविर इंजेक्शन की मारामारी व कालाबाजारी और मौत की खबरें सुनने को मिल रही है। सिस्टम लाचार बना हुआ है, मरीजों के तामीरदार अपने मरीजों की जान बचाने के लिए हर मुमकिन कौशिश में लगे हैं और उनको अच्छे से अच्छा उपचार दिलाने के लिए इधर से उधर दौड़ लगा रहे है। हॉस्पिटल के मुंह मांगा पैसा देने के बाद भी उपचार के नाम पर उनको केवल मायूसी ही हाथ लग रही है।

कुछ निजी हॉस्पिटलों ने तो कोरोना उपचार गोल्डन कार्ड, आयुष्मान कार्ड और हैल्थ पॉलिसी पर करने से ही इंकार कर दिया है। केवल कैश पर ही वो भी प्रतिदिन हजारों का बैड देकर उपचार कर रहे है, इतनी भारी भरकम रकम देकर भी उनको उपचार के नाम पर झुझना देकर उन्हें भगवान भरोसे छोडा जा रहा है। तीर्थनगरी में कोरोना ने हर व्यक्ति को रुला रखा है। जिधर देखों कोरोना से पीडित परिवार अपने मरीज को लेकर दर-दर की ठोकरे खाने के लिए मजबूर है। कोरोना काल भले की आम जनता के लिए मुसीबत बन कर आया हैं, लेकिन कोरोना कुछ निजी हॉस्पिटल संचालकों व कालाबाजारियों के लिए बम्पर लाटरी बन कर नोट बटोरने का समय आया है। जोकि लोगों की मजबूरी व लाचारी का जमकर फायदा उठाकर एक ही दिन में करोडपति बनने की तमन्ना रखे हुए है।

कोरोना के खौफ से हर कोई अपने मरीज को अच्छे से अच्छा उपचार दिलाने के लिए एक के बाद एक हॉस्पिटल की ओर दौड लगा रहा है। लोगों को उनको अपने मरीजों के लिए बैड, ऑक्सीजन, वैंटिलेटर और रेमडेसिविर इंजेक्शन आदि के लिए गिड़गिडना पड़ रहा है। इस कोरोना काल में कुछ हॉस्पिटल संचालकों को माला माल और गरीब व मध्य वर्गीय लोगों को कर्जदार बना दिया है। उसके बावजूद भी लोग अपने मरीज को अच्छा उपचार दिलाने के लिए रोजना हजारों रूपये खर्च करके भी अपने को ठगा सा महसूस कर रहे है। ऐसा नहीं कि निजी हॉस्पिटलों की मनमानी की जानकारी प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को नहीं है। मगर वह भी मूक दर्शक बना चुपचाप हॉस्पिटल के खेल को देख रहा है।

प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ऐसे हॉस्पिटलों के खिलाफ कोई शिंकजा ने कसने और कोरोना पीडितों को उपचार के लिए कोई ठोस कारगर कदम न उठाने को लेकर लोगों में रोष है। कोरोना से पीडित लोगों का आरोप हैं कि कुछ निजी हॉस्पिटल संचालकों ने गोल्डन कार्ड, आयुष्मान कार्ड और हैल्थ पॉलिसी को भी मानने से भी इंकार कर दिया है। निजी हॉस्पिटल केवल कैश पर ही कोरोना का उपचार देने की बात कर रहे है। ऐसा नहीं लोगों ने अपने मरीज की जान बचाने के लिए हॉस्पिटल की मनमानी फीस रोजना की हजारों दी जा रही है। मगर उसके बावजूद भी उनके मरीजों की सही से केयर और ना ही उनका सही दिशा में उपचार दिया जा रहा है। शहर के हॉस्पिटलों की हालत यह हैं कि मरीजों के रोजना के हजारों खर्च करने के बाद भी मरीजों को भगवान भरोसे छोडा गया है।

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