बैंकिंग इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला, 22,842 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी
अहमदाबाद । गुजरात में बैंकिंग इतिहास के सबसे बड़े घोटाले में 8 बैंकों के साथ 22,842 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर केंद्रीय जांच ब्यूरो ने ABG शिपयार्ड और उसके तत्कालीन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल सहित 8 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है।
इस मामले में बैंक ने सबसे पहले 8 नवंबर, 2019 को शिकायत दर्ज कराई थी, जिस पर सीबीआई ने 12 मार्च, 2020 को कुछ स्पष्टीकरण मांगा था। बैंक ने उस साल अगस्त में एक नई शिकायत दर्ज कराई। डेढ़ साल से अधिक समय तक जांच करने के बाद, CBI ने 7 फरवरी, 2022 को प्राथमिकी दर्ज करने वाली शिकायत पर कार्रवाई की।
ABG शिपयार्ड कंपनी जहाज के निर्माण और मरम्मत का काम करती है। इसके शिपयार्ड गुजरात के दहेज और सूरत में स्थित हैं। FIR के मुताबिक यह घोटाला अप्रैल 2012 से जुलाई 2017 तक का है। यह नीरव मोदी से भी बड़ा घोटाला है।
SBI के DGM की शिकायत के मुताबिक कंपनी के पास ICICI बैंक के 7089 करोड़ रुपए, IDBI बैंक के 3634 करोड़ रुपए, SBI को 2468 करोड़ रुपए, बैंक ऑफ बड़ौदा के 1614 करोड़ रुपए, पंजाब नेशनल बैंक के 1244 करोड़, इंडियन ओवरसीज बैंक के 1228 करोड़ रुपए और LIC को 136 करोड़ रुपए का नुकसान शामिल है।
CBI की FIR के मुताबिक फ्रॉड करने वाली दो प्रमुख कंपनियों के नाम एबीजी शिपयार्ड और एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड हैं। दोनों कंपनियां एक ही ग्रुप की हैं। आरोप है कि बैंकों से फ्रॉड किए गए पैसे को विदेशों में भी भेजा गया और काफी प्रॉपर्टी खरीदी गईं। तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर पैसा एक कंपनी से दूसरी कंपनी में भेजा गया।
कंपनी को एसबीआई के साथ ही 28 बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 2468.51 करोड़ रुपए के लोन की मंजूरी दी थी। ऑडिट से पता चला है कि वर्ष 2012-17 के बीच आरोपियों ने कथित रूप से मिलीभगत की और अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया, जिसमें पैसे का दुरुपयोग और आपराधिक विश्वासघात शामिल है।
एजेंसी ने अग्रवाल के अलावा तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी, निदेशकों – अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया और एक अन्य कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ भी कथित रूप से आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आधिकारिक दुरुपयोग जैसे अपराधों के लिए मुकदमा दर्ज किया है। इसमें बैंक अधिकारियों की मिलीभगत का भी अंदेशा है।