December 23, 2024

Newz Studio

सरल और संक्षिप्त

हरिद्वार | न्यूनतम मजदूरी भी नहीं पा रही भोजन माताएं, किया प्रदर्शन

प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी लगभग ₹8500 तय होने के बावजूद भोजन माताओं को मिलता है ₹2000 का ही मानदेय।

 

रिपोर्ट: अर्चना धींगरा

हरिद्वार | मानदेय व अन्य मांगों के समाधान के लिए गुरुवार को हरिद्वार रोशनाबाद कलेक्ट्रेट में भोजन माताओं ने अपनी यूनियन प्रगतिशील भोजन माता संगठन के बैनर तले जिलाधिकारी के माध्यम से श्रम सचिव देहरादून को एक ज्ञापन सौंपा। भोजन माताओं ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन भी किया।

संगठन की हरिद्वार इकाई की अध्यक्ष दीपा ने कहा कि केंद्र सरकार की मिड-डे-मील की योजना को सरकार ने स्कूलों में लागू किया था। इसके लिए सरकार ने छात्रों के लिए स्कूल में खाना बनाने हेतु भोजन माताओं को काम पर रखा था। उन्होंने कहा कि भोजन माताओं को खाना बनाने की एवज में जो सुविधाएं दी जा रही है वह इन भोजन माताओं के साथ एक भद्दा मजाक है जबकि सरकार के मंत्री-संत्री अपनी सुख-सुविधाओं पर करोड़ों रुपए खर्च करते हैं।

भोजन माता पार्वती ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने न्यूनतम मजदूरी ₹8500 के लगभग कर रखी है लेकिन हम भोजन माताओं को ₹2000 ही मानदेय दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में खाना बनाने के अलावा उन से स्कूलों के मैदानों, कमरों की साफ-सफाई तक कराई जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्कूलों में काम करने के लिए 1 से ढाई घंटे तक का निर्देश लागू किया गया था लेकिन भोजन माताओं को कार्य के अतिरिक्त समय तक स्कूलों में रोका जाता है।

भोजन माता माला ने कहा कि 1 जनवरी 2020 को प्रखंड शिक्षा निदेशक ने सरकार को ₹2000 से बढ़ाकर ₹5000 मानदेय करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था लेकिन इन लोगों की मांगों व समस्याओं पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है।

अपनी समस्याओं के निवारण के लिए ज़ोर देते हुए भोजन माताओं ने कहा कि यदि सरकार उनकी मांगों पर अमल नहीं करती है तो सभी भोजन माताएं विरोध में सड़कों पर उतरेंगी और अपनी आवाज़ बुलंद करेंगी।

ज्ञापन के द्वारा भोजन माताओं ने निम्न मांगें रखीं है:

  • भोजन माताओं को स्थाई किया जाए।
  • भोजन माताओं को वेतन, बोनस व ड्रेस का शीघ्र भुगतान किया जाए‌।
  • भोजन माताओं को स्कूल से न निकाला जाए।
  • भोजन माताओं को धुंए से मुक्त किया जाए।
  • अक्षय पात्र फाउंडेशन द्वारा बनाए गए खाने पर रोक लगाई जाए।
  • उत्तराखंड के सभी स्कूलों में गैस की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
  • ईएसआई, पीएफ, पेंशन, प्रसूति अवकाश जैसी सुविधाएं भोजन माताओं को दी जाए।
  • क्वारनटीन सेंटरों में लगी भोजन माताओं को अतिरिक्त सहयोग राशि व जीवन बीमा दिया जाए।