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भगवानपुर: फिर खूनी संघर्ष; सूचना पर भी नहीं की पुलिस ने कार्यवाही

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अगर समय रहते भगवानपुर पुलिस इस जमीन के विवादित मामले को गम्भीरता से ले लेती तो आज अलावलपुर में इतना बड़ा खूनी संघर्ष होने से बच जाता।

ख़ास बात:

  • भगवानपुर में फिर खूनी संघर्ष, 5 घायल, 1 गंभीर
  • हमले में कल हुए थे 3 लोग गंभीर रूप से घायल
  • पुलिस प्रशासन को क्यूँ है देर से जागने की आदत?
  • पुलिस को दी थी पीड़ित परिवार ने जान माल के खतरे की सूचना
  • पुलिस ने नहीं की कोई कार्रवाई, नहीं दिखाई गंभीरता

भगवानपुर: जहाँ राज्य सरकार लोगो से गुहार लगा रही है कि सभी लोग अपने-अपने घरों में रहे और 2 लोगों से ज्यादा लोग कहीं भी इकट्ठा न हों, इस गुहार को अलावलपुर के कुछ दबंग पलीता लगाते नजर आ रहे है।

दअरसल मामला भगवानपुर विधान सभा के अलावलपुर गांव है, जहाँ पिछले दिन विवादित पट्टे की जमीन को लेकर दो पक्षों में जमकर लाठी डंडे चले थे। कल का मामला अभी पूरी तरह शांत भी नहीं हुआ था कि आज फिर दबंग पक्ष ने उसी पक्ष पर धारदार हथियारों से उस समय हमला कर दिया जब पीड़ित परिवार शाम के समय अपने पूरे परिवार के साथ अपने घर पर आराम से बैठा था।

बताया जा रहा है कि पीड़ित पक्ष ने तकरीबन दस दिन पहले भगवानपुर पुलिस थाने में जान माल के खतरे की सूचना दे कर कार्यवाही की मांग की थी। लेकिन भगवानपुर पुलिस ने फरयादी की फरियाद को अनसुना कर दिया, और मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। अगर समय रहते भगवानपुर पुलिस इस जमीन के विवादित मामले को गम्भीरता से ले लेती तो आज अलावलपुर में इतना बड़ा खूनी संघर्ष होने से बच जाता।

वही चोटिल परिवार का पिता रो रो कर मीडिया के सामने अपने बच्चों की सलामती की गुहार लगा रहा है और भगवानपुर पुलिस की विफलता का आईना दिखता नजर आ रहा है।

वही अगर बात सामुदायिक चिकित्सालय भगवानपुर से मिली जानकारी के अनुसार इस घटना में तकरीबन पांच लोग घायल हुए हैं और और एक युवक की हालत गम्भीर बनी हुई है, जिसे रुड़की सिविल हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया है।

वही जब इस बाबत भगवानपुर थाना अध्यक्ष संजीव तपरियाल से हमारे सवांददाता मुर्सलीन अल्वी ने बात करनी चाही तो वो आना कानी करते हुऐ इस मामले से अपना पल्ला झाड़ते हुऐ नजर आए। फिलहाल दोनों पक्षों के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कर दिया गया है।

अब देखने वाली बात ये होगी कि अगर समय के रहते पुलिस मामले को गम्भीरता से ले लेती तो शायद ऐसा बड़ा संघर्ष गांव में न होता। अब देखते हैं कि हमारी इस खबर के माध्यम से प्रशासन कुम्कभर्णीय नींद से जागता है या पीड़ित परिवार को खानी पड़ती है दर दर की ठोकरें –  ये तो आने वाला समय ही बता पायेगा।