UPDATE | दुष्कर्म मामले में आसाराम को गांधीनगर कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा
गांधीनगर | संत के नाम पर कलंक आसाराम को उसके दुष्कृत्यों की सजा सुनाई गई। सूरत की युवती के साथ दुष्कर्म के केस में गांधीनगर कोर्ट ने आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। गुजरात सरकार ने दुष्कर्म के इस मामले में आसाराम को उम्रकैद की मांग की थी| जबकि बचाव पक्ष ने आसाराम को कम से कम देने की मांग की थी। 9 वर्ष से चल रहे इस मुकद्दमे में आखिरकार कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया।
गांधीनगर कोर्ट रूम में विशेष सरकारी वकील आरसी कोडेकर और आसाराम के वकील बीएम गुप्ता मौजूद रहे। जबकि आसाराम को जोधपुर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट से जोड़ा गया था।
गांधीनगर सत्र न्यायालय के अतिरिक्त सत्र न्यायधीश बीके सोनी ने आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई है| बता दें कि सूरत की युवती के साथ दुष्कर्म के मामले में सोमवार को गांधीनगर कोर्ट ने आसाराम को दोषी करार देते हुए मंगलवार को यानी आज सजा पर फैसला आज पर छोड़ दिया था।
सोमवार को छह आरोपियों आसाराम की बेटी भारती और पत्नी लक्ष्मी के अलावा निर्मला ढेल मीरा बंगलो ध्रुव और जसवती को निर्दोष बरी कर दिया था। आसाराम को सजा सुनाए जाने के बाद सरकारी वकील आरसी कोडेकर ने बताया कि सजा को लेकर हमारी टीम की दलील सुनने के बाद न्यायधीश ने 376 और 377 के अंतर्गत उम्रकैद पीड़िता को रु. 50 हजार का मुआवजा और अन्य सेक्शन में एक-एक वर्ष की सजा तथा नोमिनल फाइन देने का आदेश दिया है।
उम्रकैद के बाद अधिकतम सजा फांसी की होती है। प्रोसिक्युशन आजीवन कारावास के बाद फांसी की सजा मांग नहीं करता। हांलाकि बचाव पक्ष को अपील करने का अधिकार है। गौरतलब है सूरत की दो बहनों ने वर्ष 2013 में आसाराम और उनके बेटे नारायण सांई के खिलाफ दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी| दोनों बहनों में छोटी बहन ने नारायण सांई के खिलाफ 2002 से 2005 के दौरान कई दफा दुष्कर्म की शिकायत की थी। युवती के मुताबिक जब वह सूरत स्थित आसाराम आश्रम में रहती थी उस वक्त नारायण सांई उसके साथ गई बार दुष्कर्म किया था।
सूरत के जहांगीरपुरा आश्रम में दुष्कर्म की रिपोर्ट 6 अक्टूबर 2013 को दर्ज कराई गई थी| जबकि बड़ी बहन ने आरोप लगाया था कि आसाराम ने उसके1997 से 2006 के दौरान उसका यौन शोषण किया था| सूरत की दोनों बहनों ने आसाराम और नारायण सांई के खिलाफ अलग अलग एफआईआर दर्ज करवाई थी। जिसके आधार पुलिस ने नारायण सांई के खिलाफ दुष्कर्म शारीरिक हमला बंधक बनाने समेत अन्य मामला दर्ज किया था।
वर्ष 2018 में दुष्कर्म समेत अन्य अपराधों के तहत आसाराम को सजा सुनाई गई थी| पिछले 9 सालों से आसाराम जमानत के लिए कई याचिकाएं दाखिल कर चुके हैं लेकिन उनकी सभी याचिकाएं खारिज की जा चुकी हैं।
जनवरी 31: 13:06 मिनट | दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे संत आसाराम बापू को गांधीनगर की एक अदालत ने महिला शिष्या से दुष्कर्म के एक मामले में दोषी क़रार दिया है और मंगलवार को इस मामले में सज़ा सुनाई जाएगी। सत्र न्यायालय के जज डी के सोनी ने सोमवार को अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। हालांकि सबूतों के अभाव में आसाराम की पत्नी समेत छह अन्य अभियुक्तों को अदालत ने बरी कर दिया है।
बेरोजगार युवाओं ने किया UKSSSC का घेराव, कनिष्ठ सहायकों का नहीं हुआ सत्यापन
स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर आर सी कोडेकर के अनुसार संत आसाराम को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (सी) की धारा 377 और अन्य प्रावधानों के तहत पीड़िता के अवैध हिरासत के लिए दोषी ठहराया गया है। वहीं आसाराम के वकील सीबी गुप्ता ने कहा कि इसे 2001 की घटना कहा जा रहा है लेकिन इसकी शिकायत 2013 में की गई। सज़ा के बाद हम लोग विचार-विमर्श करके हाईकोर्ट में अपील दाख़िल करेंगे।
ये है मामला
सूरत की एक महिला ने 2013 में आसाराम बापू और सात अन्य लोगों के ख़िलाफ़ बलात्कार और अवैध रूप से बंधक बनाने का मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने इस मामले में जुलाई 2014 में चार्जशीट दायर की थी। अहमदाबाद के चांदखेड़ा पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार आसाराम ने 2001 से 2006 के बीच पीड़ित महिला से अहमदाबाद शहर के बाहरी इलाके में स्थित आश्रम में कई बार दुष्कर्म किया था।
भारत जोड़ो यात्रा | श्रीनगर: बर्फ से खेलते दिखे राहुल प्रियंका
25 अप्रैल 2018 को जोधपुर अदालत ने ख़ुद को धर्मगुरू बताने वाले आसाराम बापू को एक नाबालिग से बलात्कार के मामले में दोषी क़रार दिया है और आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी। सजा सुनाए जाने से पांच साल पहले से आसाराम जेल की सलाखों में बंद हैं।अभियुक्तों में से एक की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी।