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नागरिक पुलिस के दायरे में आएंगे उत्तराखंड के सभी राजस्व क्षेत्र, मुख्यालय के प्रस्ताव का शासन में चल रहा अध्ययन

प्रदेश सरकार अब उत्तराखंड के समस्त ग्रामीण क्षेत्रों को राजस्व पुलिस से हटाकर नागरिक पुलिस के हवाले करने की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए पुलिस मुख्यालय ने दूसरे चरण में शेष बचे चार हजार से अधिक गांवों को नागरिक पुलिस के दायरे में लाने का प्रस्ताव शासन को सौंप दिया है। इसमें जनसंख्या के लिहाज से थानों व चौकियों को गठन किया जाना प्रस्तावित है। वित्त विभाग इस प्रस्ताव का अध्ययन कर रहा है। वित्त से स्वीकृति मिलने के पश्चात इसे कैबिनेट में लाया जाएगा। उत्तराखंड में राज्य गठन के पहले से ही राजस्व पुलिस व्यवस्था चली आ रही है। यानी जितने भी राजस्व क्षेत्र थे, वहां नागरिक पुलिस के स्थान पर राजस्व पुलिस के पास कानून व्यवस्था का जिम्मा था। इसके लिए तहसीलदार से लेकर पटवारी तक को नागरिक पुलिस की भांति ही कानूनी अधिकार भी थे। राज्य गठन के बाद राजस्व क्षेत्रों का स्वरूप बदलने लगा और ये भी शहरी क्षेत्रों में तब्दील होने लगे। इसके साथ ही यहां आपराधिक घटनाएं भी बढ़ने लगीं। ऐसे में इन क्षेत्रों को नागरिक पुलिस के दायरे में लाने की मांग ने जोर पकड़ा और इसके लिए अदालत तक का दरवाजा खटखटाया गया।
नैनीताल हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में राज्य सरकार को निर्देश दिए कि सभी राजस्व क्षेत्रों को नागरिक पुलिस के दायरे में लाया जाए। इस क्रम में प्रदेश सरकार ने पहले चरण में प्रदेश सरकार ने फरवरी 2023 में राजस्व क्षेत्रों के लगभग 1200 से अधिक गांवों को इसके दायरे में लिया और यहां छह थाने व 21 चौकियां स्थापित की गई। अब दूसरे चरण में अन्य राजस्व गांवों में सिविल पुलिस तैनात करने की तैयारी शुरू हो गई है। पुलिस मुख्यालय द्वारा इसका विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर शासन को सौंपा जा चुका है। सचिव गृह शैलेश बगौली ने कहा कि पुलिस मुख्यालय से प्राप्त प्रस्ताव का अध्ययन किया जा रहा है।