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ख़बर का असर: ‘हलधर कौशल्या’ का बोझ बांटने आगे आया प्रशासन

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प्रशासन द्वारा कौशल्या देवी को कृषि से संबंधित उपकरण और बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। साथ ही जिलाधिकारी पौड़ी धिराज सिंह गर्ब्याल भी खबर देखने के बाद कौशल देवी की आर्थिक मदद के लिए आगे आये है।

 

पौड़ी: पौड़ी जनपद में खाली होते गांवों की खबरें तो अक्सर सुर्खियां बटोरती हैं, मगर कुछ लोग ऐसे भी है जो कुछ ऐसे कर गुजरते है जो आने वाली पीढ़ी के लिए मिसाल छोड़ जाते हैं। ख़बर का असर में देखिए हमारी ये खास रिपोर्ट।

कुछ समय पहले न्यूज़ स्टूडियो द्वारा एक खबर प्रसारित की गई थी जिसमें पौड़ी ज़िले के कोट ब्लॉक की ‘हलधर’ के नाम से विख्यात कौशल्या देवी नाम की एक महिला की खबर हमने प्रमुखता से दिखाई थी। हमने बताया था कि पहाड़ की कौशल्या अपने मजबूत हौसले के साथ पिछले 11 वर्षों से 20 परिवार के बंजर पड़े खेतों को आबाद करने में लगी है। कौशल्या देवी के पति का 11 साल पहले स्वर्गवास हो गया था, जिसके बाद उनके ऊपर उनके चार बच्चों की परवरिश का ज़िम्मा था और उन्होंने बाहर न जाकर गांव के ही बंजर खेतों को अपने बेलों से हल लगाकर अपने बच्चों का पालन पोषण करने का एक अटूट निर्णय लिया।

देखें हलधर कौशल्या की कहानी: GOOD STORIES: पौड़ी की ‘हलधर कौशल्या’ – एक नाम अटूट हौसले का

इस खबर को हमने प्रमुखता से उजागर किया था और आज हमारी खबर का असर देखने को मिला।

अब जिला प्रशासन कौशल्या देवी की मदद करने के लिए आगे आया है। प्रशासन द्वारा कौशल्या देवी को कृषि से संबंधित उपकरण और बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। साथ ही जिलाधिकारी पौड़ी धिराज सिंह गर्ब्याल भी खबर देखने के बाद कौशल्या देवी की आर्थिक मदद के लिए आगे आये है।

उन्होंने कौशल्या देवी को पानी के लिए टैंक और कृषि के लिए पॉलीहाउस देने की बात कही है जिसका 90% खर्च प्रदेश सरकार द्वारा दिया जाएगा। इस लागत की शेष राशि जिलाधिकारी पौड़ी स्वयं उठाएंगे।

कृषि अधिकारी का कहना है कि उन्हें गर्व होता है कि ऐसी महिलाएं पहाड़ों में जन्म लेती है जो अपनी ईमानदारी, जुनून और मेहनत के बल पर लोगों को प्रोत्साहित करती हैं। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा कौशल्या देवी को खेती के उपकरण के साथ-साथ बीज भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि कौशल्या देवी को खेती से संबंधित जो भी आवश्यकता होगी प्रशासन उसे पूरा करने के लिए तैयार रहेगा।

कौशल्या देवी अब खुश हैं। वहीं लोगों ने भी ‘हलधर कौशल्या’  के इस अटूट प्रयास की सराहना की है। उम्मीद की जानी चाहिए कि प्रशासन के साथ युवा पीढ़ी भी कौशल्या देवी के इस सराहनीय प्रयास से सीख लेगा और पहाड़ों में बंजर पड़े खेतों को आबाद करने के लिए पहल करेगा।

कौशल्या देवी पहाड़ों की उन वीरांगनाओं में से एक हैं जिन्होंने बिना पहाड़ को छोड़े ही अपनी मेहनत के बल पर अपनी बच्चों की परवरिश तो की ही, साथ ही प्रदेश के उन युवाओं के लिए भी मिसाल पेश की जो केवल और केवल रोजगार ना होना कहकर पहाड़ों से पलायन करते हुए चले गए। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहाड़ की नारी वीरांगना होती है जो समय-समय पर ऐसी मिसाल कायम करती है जो आने वाली पीढ़ी के लिए नज़ीर बन जाती है।