कोरोना महामारी में देवदूत बने अभिनेता सोनू सूद ने स्थापित किया सूद चेरिटी फाउंडेशन
अब प्रतिभावान छात्रों को बनाना चाहते हैं आईएएस और सीए
इन्दौर। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान देवदूत बनकर उभरे प्रख्यात अभिनेता सोनू सूद अब आईएएस और सीए जैसी कक्षाओं के लिए कोचिंग में मदद का अभियान चलाएंगे। वे चाहते हैं कि पढ़े-लिखे और शिक्षित युवा देश में रहते हुए राष्ट्रप्रेम और सेवा की भावना से भी जुड़ें। कोरोना काल में सोनू सूद ने इन्दौर के ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए मुंबई से बैंगलुरू और वहां से इन्दौर के लिए इंजेक्शन भी भिजवाए थे। वे इन्दौर में कुछ प्रमुख संस्थाओं के साथ मिलकर नए प्रोजक्ट भी प्रारंभ करना चाहते हैं।
सोनू सूद के चेरिटी फाउंडेशन में सहयोगी रहे मूलतः इन्दौर के इंजीनियर और आईआईटी खंडगपुर से डिग्री प्राप्त करने वाले तथा पिछले छह वर्षों से बैंगलुरू में पदस्थ राघव सिंघल ने आज शहर के कुछ प्रबुद्धजनों से चर्चा के दौरान पारसी मोहल्ला स्थित मां गिरिजा निवास पर बैठक में उक्त बातें बताई। वे लोकोपकार सेवा वाटिका वेलफेयर सोसायटी के आमंत्रण पर इन्दौर आए हैं। प्रारंभ में फाउंडेशन की ओर से डाॅ. अदिति सिंघल ने उनका स्वागत किया। सिंघल बैंगलुरू में एक प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनी के मार्केटिंग हेड हैं जिन्हें अपनी कंपनी के 25 करोड़ सदस्य बनाने पर राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार भी मिल चुका है। सोनू सूद के फाउंडेशन में मदद के लिए वे अपने वेतन का दस प्रतिशत हिस्सा हर माह भेज रहे हैं।
कोरोना काल के दौरान जब उन्होंने सोनू सूद को सोशल मीडिया, टीवी और इंस्टाग्राम पर पीड़ितों की मदद करते देखा और उनकी टीम की चुस्ती-फुर्ती से अनेक लोगों को उनके पैतृक घर तक पहुंचाने और भोजन से लेकर दवाईयों तक का पुख्ता इंतजाम मिला तो राघव सिंघल भी उनकी टीम के साथ जुट गए। उन्होंने अप्रैल-मई 2020 से लेकर हाल ही अप्रैल माह तक अपने साथियों के साथ बैंगलुरू में बीमारों को अस्पताल पहुंचाने, ऑक्सीजन सिलेंडर एवं इंजेक्शन उपलब्ध कराने जैसे अनेक सेवा प्रकल्प भी चलाए।
राघव का कहना है कि बैंगलुरू की झुग्गी बस्तियों में करीब 5 हजार लोगों को राशन एवं एक हजार लोगों को प्रतिदिन भोजन की सेवा उनकी टीम द्वारा उपलब्ध कराई गई। इसी दौरान जब उन्हें इन्दौर में कोरोना के विकराल स्वरूप की नित्य प्रतिदिन सूचनाएं मिलने लगी तो अन्य लोगों की तरह उन्होंने भी सोनू सूद से उक्त सूचनाएं शेयर करना शुरू कर दी। उन्हें आश्चर्य हुआ कि इन सूचनाओं को खुद सोनू सूद ने पढ़ा, देखा और अपनी टीम के गोविंद अग्रवाल, तुषार भाई एवं अभिषेक के माध्यम से सभी समस्याओं का आधे घंटे से भी कम समय में समाधान भी किया। गत 28 जून को वे मुंबई में वरसोवा स्थित सोनू सूद के निवास पर मुलाकात करने पहुंचे तो वहां देश के विभिन्न दूर-दूर के शहरों के लोग पहले से जमा थे जिन्हें उन्होंने पूरे धैर्य से सुना और अपनी टीम के लोगों को उनकी मदद के लिए कहा। इसी मुलाकात में जब उन्हें इन्दौर के बारे में बताया गया तो उन्होंने कहा कि इन्दौर में सुनील अग्रवाल के माध्यम से उनका फाउंडेशन कुछ बड़े प्रोजेक्ट पर भी काम करना चाहता है। इनमें ऑक्सीजन प्लांट से लेकर प्रतिभाशाली छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए कोचिंग का प्रोजेक्ट भी शामिल है। सोनू सूद प्रतिदिन एक घंटा सुबह और एक घंटा शाम को अपनी फिल्मों की शूटिंग छोड़कर पीड़ित लोगों से आज भी मिलते हैं।
सोनू सूद पंजाब के मोगा शहर के मूल निवासी हैं और स्वयं भी इंजीनियर हैं। उनके पिताश्री की मोगा में कपड़े की दुकान है जिसे आज भी पिता के समय के नौकर ही चला रहे हैं। अब वे सोनू सूद चेरिटी फाउंडेशन के माध्यम से आईएएस और सीए जैसी पढ़ाई के लिए प्रतिभावान छात्रों को कोचिंग उपलब्ध कराना चाहते हैं। अब तक उनके पास करीब 1 लाख आवेदन मिल चुके है। इनमें से पहले चरण में एक हजार बच्चों का चयन किया जाएगा। कोरोना की संभावित तीसरी लहर से मुकाबले के लिए भी उनकी टीम एक बार फिर पूरी मुस्तैदी से तैयार है।