देहरादून: ग़लत कारणों से सोशल मीडिया पर वायरल कश्मीरी छात्रा, जानें क्या है मामला…
ख़ास बात:
- सोशल मीडिया पर कश्मीरी छात्रा हुई वायरल
- कश्मीरी छात्रा ने किया देश विरोधी पोस्ट
- पुलवामा शहीदों का उड़या मज़ाक
- आपत्तिजनक टिप्पणी पर छात्रा को कॉलेज से किया निष्काशित
देहरादून: अक्सर बच्चे इंजीनियर डॉक्टर बनने की इच्छा जताते है माता पिता अपने बच्चों के लिए सुनहरे भविष्य की कामना करते हैं। लेकिन इसके विपरीत देहरादून के निजी इंजीनियरिंग संस्थान में पढ़ने वाली कश्मीरी छात्रा ने आतंकी बनने की इच्छा जताई है। साथ ही छात्रा ने अपनी सोशल पोस्ट पर राष्ट्र विरोधी पोस्ट के साथ इंडियन आर्मी पर भी टिप्पणी की है ।जहां पिछले साल हुए पुलवामा अटैक की फोटो पर ‘हैप्पी वैलेनटाईज़ डे’ लिखा है। जहाँ राज्य अपने उन महान शहीदों और देश की रक्षा के लिए प्राण हथेली पर रखने को तैयार सैनिकों के लिए जाना जाता है, वहीं इस तरह की राष्ट्र-विरोधी सोच एकदम विपरीत है।
जिसके बाद से ही इस छात्रा के पोस्ट के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा हैं। छात्रा की आपत्तिजनक टिप्पणी पर कॉलेज प्रशासन ने तत्काल संज्ञान लेते हुए छात्रा को कॉलेज से निष्कासित कर दिया है। वहीं देहरादून के डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने मामले की जांच करने के बाद आगे की कार्यवाही किए जाने की बात कही है। आपको बतादें कि इससे पहले भी कश्मीरी छात्र विवाद मे रहे हैं।
- 31 जनवरी को भी शिमला बाईपास स्थित शिक्षण संस्थान में देश विरोधी नारे लगे
- जम्मू-कश्मीर में हिजबुल मुजाहिद्दीन का आतंकी बना 22 साल का शोएब अहमद लोन देहरादून के प्रेमनगर थाना क्षेत्र स्थित एक इंस्टीट्यूट में बीएससी आइटी तृतीय वर्ष का छात्र था। उसकी सच्चाई अक्टूबर 2018 में सामने आई थी।
- 2019 में भी सोशल मीडिया में देहरादून के एक कॉलेज के स्टूडेंट ने देश विरोधी पोस्ट लिखी, जिस पर खूब बवाल बचा था।
- रुड़की स्थित क्वॉन्टम ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने सोशल मीडिया पर कथित राष्ट्र विरोधी पोस्ट डाला था, जिसके बाद 7 कश्मीरी छात्रों को यूनिवर्सिटी से निकाला गया था।
- आतंकी शोयब लोन के मारे जाने के बाद फरवरी 2019 में भी ही राबिया नाम की एक कश्मीरी छात्रा ने टिप्पणी की थी कि शोएब को जन्नत नसीब हो।
- कश्मीरी छात्र कैसर राशिद ने शहीदों को लेकर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
उत्तराखण्ड मे हर साल लगभग 3000 कश्मीरी छात्र पढ़ने आते हैं जिसमें से बहुत कुछ ही इसे देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होते हैं, लेकिन बाकी के कश्मीरी छात्रों को भी शर्मिंदा होना पड़ता है।