सात अनुसूचित जातियों को एक जाति बताने वाला विधेयक संसद से पास
नई दिल्ली । राज्यसभा ने संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश संशोधन विधेयक-2021 को मंजूरी दे दी जिसमें तमिलनाडु की सात जातियों को एक जाति देवेंद्रकुला वेलालर में समाहित करने का प्रस्ताव किया गया है। इसी के साथ यह विधेयक दोनों सदनों से पास हो गया। लोकसभा में यह विधेयक पिछले हफ्ते पारित हुआ था। उच्च सदन में विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि इनमें से कडड्यन जाति को तिरुनेलवेली, तूतुकुडी, रामनाथपुरम, पुदुकोट्टई और तंजावूर जिलों के तटीय क्षेत्रों में इसी नाम से जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक का तमिलनाडु के विधानसभा चुनावों से कोई संबंध नहीं है और यह महज संयोग है कि यह विधेयक अभी सदन में लाया गया है। गहलोत ने कहा कि भाजपा सरकार अनुसूचित जाति के लेागों की सर्वाधित हितैषी है तथा वह हितैषी बनी रहेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार आरक्षण का समर्थन करती है और आरक्षण समाप्त करने का उसका कोई इरादा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया को अल्पसंख्यक संस्थान घोषित किया जिससे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का आरक्षण समाप्त हो गया। चर्चा के दौरान विपक्ष द्वारा लगाए गए विभिन्न आरोपों का खंडन करते हुए गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के सम्मान में उनसे जुड़े पांच प्रमुख स्थानों को पंच तीर्थ घोषित किया। न सिर्फ उनके जन्म स्थान पर भव्य स्मारक का निर्माण कराया गया है, लंदन में शिक्षा भूमि, नागपुर में दीक्षा भूमि और चैत्य भूमि को भी विकसित किया गया। दिल्ली में 26, अलीपुर रोड पर भी एक भव्य स्मारक बनवाया है। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर बाबा साहेब की अनदेखी करने का आरोप लगाया जिसका कांग्रेस ने खंडन किया।
चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि यह विधेयक तमिलनाडु में हो रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लाया गया है। उन्होंने दावा किया कि 2015 में ही इन समुदायों के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी। लेकिन उस समय कोई कार्रवाई नहीं हुई। खड़गे ने कहा कि अब जब राज्य में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, उनकी मांगों को पूरा किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की मंशा अनुसूचित जाति के लोगों को आर्थिक रूप से पिछड़ा बनाए रखने की है।
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