प्रदेश में गुलदारों का खौफ़, वन विभाग नहीं करा सका इनकी गणना
पौड़ी: उत्तराखंड में साल-दर-साल गुलदार और मनुष्य के बीच होते मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ रही है जिसमें इस बीच कई गुलदार आदमखोर घोषित होने के बाद या तो वन विभाग के शिकार हुए हैं या फिर वन विभाग के पिंजरे में कैद हुए हैं।
वहीं अभी भी कई गुलदारों की रिहायशी क्षेत्रों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती चहलकदमी पहाड़वासियों में खौफ भरा माहौल पैदा कर रही है। बावजूद इसके प्रदेश में अब तक वन महकमा गुलदारों की गणना शुरू नहीं करवा सका है। अकेले पौड़ी जिले में ही पिछले साल से अब तक 16 से अधिक घटनाओं में गुलदार ने 10 लोगों को घायल किया तो 6 से अधिक लोगों को तो मौत के घाट उतार दिया है। इसमें बच्चों से लेकर बूढ़े-बुज़ुर्ग और महिलायें भी शामिल हैं।
इन घटनाओं पर कई गुलदारों को आदमखोर घोषित किये जाने के बाद वन विभाग के शिकारी इनका शिकार तक कर चुके हैं लेकिन अब तक उत्तराखण्ड में गुलदारों की संख्या कितनी है इसका सर्वे तक शुरू नहीं हो पाया है।
आपको बता दें कि उत्तराखंड में हाथी और बाघ की गणना पूरी की जा चुकी है, लेकिन गुलदार की गणना के प्रयास अब तक शुरू नहीं हो सके हैं। जानकारों की मानें तो वन महकमा इसलिये भी गुलदारों की गणना नहीं करना चाहता है क्योंकि गुलदारों का आंकड़ा अगर ज़ाहिर किया गया तो भयावह माहौल पैदा हो सकता है।
हालांकि वन मंत्री हरक सिंह रावत की माने तो हाथी और बाघ एक सीमित क्षेत्र में थे इसलिये इनकी गणना करने में आसानी रही लेकिन गुलदार पूरे उत्तराखंड में हैं ऐसे में इनकी गणना करना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि हालात जो भी हों लेकिन फिर भी कैमरे की ट्रैपिंग और इनके पंजों के निशान व इनकी लिट से इनकी गणना को जल्द ही शुरू करवा दिया जायेगा।