December 23, 2024

Newz Studio

सरल और संक्षिप्त

गंज्याळी | पहाड़ों की महक है, दूर तलक जायेगी – खो जाएँ इस मधुर गीत में

14 जून को यूट्यूब पर एक बेहद मधुर गीत रिलीज़ किया गया। गीत का नाम है "गंज्याळी" -  जिसने गढ़वाली युवाओं के बीच धूम मचा दी है।

ये दौर कठिन है, पर साथ ही रचनात्मकता से भरा हुआ भी। कुछ नया सोचने, करने वालों के लिए ये दौर नवीनता और सृजनात्मकता से भरपूर रहा है। सोशल मीडिया पर कलाकारों की अद्भुत प्रतिभा का दर्शन करने को मिला है बीते कुछ दिनों में।

14 जून को यूट्यूब पर एक बेहद मधुर गीत रिलीज़ किया गया। गीत का नाम है “गंज्याळी” –  जिसने गढ़वाली युवाओं के बीच धूम मचा दी है। गीत की रचना प्रदीप लिंगवान ने की है और संगीत और गायन गुंजन डंगवाल द्वारा किया गया है।

इस गीत के यूट्यूब लिंक के नीचे MGV Digital द्वारा एक सुन्दर कमेंट पिन किया गया है:

नमस्कार दोस्तों। हमारा नया गीत “गंज्याळी” अब समीक्षात्मक टिप्पणी के लिए आपके पास है। यह प्रदीप लिंगवान की रचना है जिस पर कैलाश डंगवाल द्वारा अतिरिक्त शब्द दिए गए हैं। संगीत से लेकर गायन को गुंजन डंगवाल द्वारा किया गया है। आप भी इस गीत को अपने तरीके से जी सकते हैं। आँखे बंद कर कल्पना कीजिये कि आप उखल्यार के पास से गुजरने वाले रास्ते पर बैठे हैं और एक नवव्याहता अपनी सूप. छाबड, गिंजयाली और खम्याळ के साथ धान कूट रही है। अगर आप उखल्यार हैं तो सौंदर्य आपके समीप है, धान हैं तो आपको पैरो से हल्का धक्का देकर वापस ऊखल में भेजा जा रहा है, गिंजयाली हैं तो कसकर पकड़ा हुवा है, सूप हैं तो आपकी देह परबस है और खम्याळ हैं तो आप शुद्ध चावलों से भरे हैं तथा ऊखल से कुठार तक की दूरी एक सुंदरी के अंक में तय करते हैं। वैसे अगर आप जिद्दी तेपड़या (वो भूसी जो चावल के कंकड़ों को चबाते समय होंठो पर चिपक जाती है) बनने की कोशिश करते हैं तो इसके लिए बहुत त्याग चाहिए। बारीक पिसना पड़ेगा, अपनों(चावल) का साथ छोड़ना पड़ेगा और वक़्त पड़ते आपको दूर भी फेंका जा सकता है।  Just Enjoy the Song ……

गीत को सबका बहुत अच्छा रेस्पोंस मिल रहा है।

एक यूजर ने कमेंट किया है:

बहुत ही भावपूर्ण बोल हैं, गीत संगीत और गायकी सब कुछ बेहतरीन है। बहुत बढ़िया प्रयास है। शोर शराबे से हट कर हल्का फुलका मुलायम मखमली एहसास से लबरेज है। गाया भी उसी लगाव और प्यार के साथ गया है। जो भी समझिये अपने आप को तिकड़ी, त्रिमूर्ति अथवा अपनी ही रचना के त्रिदेव, तीनों ने मिलकर बहुत उम्दा गीत तैयार किया है। सुन कर सच में आनंद आ गया और सबसे बड़ी बात साथ साथ में हिंदी में अनुवाद भी है लोकभाषा न समझने वाले लोगों के लिए। ♥️से शुक्रिया और साधुवाद
एक अन्य यूजर ने गुंजन डंगवाल की प्रशंसा में लिखा है:
मन बिराणु में पहली बार गुंजन के गीतों को सुना था। तब लग चुका था कि सिर्फ नाचने और डीजे के गीत को ही उत्तराखंड का संगीत मानने या मनाने वालो के बीच एक ऐसी आवाज़ गूँजेगी, जो अलग होगी। जिसे सुनकर सुकून मिलेगा। आज 10 साल बाद ये कहा जा सकता है कि गुंजन डंगवाल अपने संगीत क्षेत्र के मुकाम पर पहुँच चुका है। ऐसा गीत वर्षों में एक बार बनता है। इस कालजयी रचना को प्रणाम। प्रदीप लिंगवाण से हमेशा खरे की ही उम्मीद होती है, चाहे 4 ही शब्द क्यों न हो पर पूरा शो लूट लिया आवाज़ और शब्द सुनकर लगता है कि अब उत्तराखंड का संगीत सुरक्षित हाथों में है।
गीत के व्यूज लगातार बढ़ रहे हैं, ज़ाहिर है पहाड़ों की महक है… दूर तलक जायेगी