December 14, 2025

Newz Studio

सरल और संक्षिप्त

“गंगोत्री हाईवे चौड़ीकरण पर विरोध तेज, पर्यावरण प्रेमियों ने पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधकर दिया संरक्षण संदेश”

गंगोत्री क्षेत्र में हाईवे के चौड़ीकरण को लेकर स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों का विरोध तेज हो गया है। झाला से भैरवघाटी तक प्रस्तावित कटान क्षेत्र में बड़ी संख्या में पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने पहुंचकर पेड़ों को बचाने की अनोखी पहल शुरू की। उन्होंने पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधकर यह संदेश दिया कि विकास के नाम पर प्रकृति के साथ समझौता नहीं किया जा सकता।


पेड़ों के संरक्षण के लिए भावनात्मक आह्वान

पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि गंगोत्री घाटी सिर्फ एक सड़क परियोजना का हिस्सा नहीं, बल्कि हिमालय की नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र का अभिन्न अंग है। यहां पेड़ों का कटना न केवल स्थानीय जल–वायु संतुलन को प्रभावित करेगा, बल्कि क्षेत्र की जैव विविधता पर भी गहरा प्रभाव डालेगा।
कार्यकर्ताओं ने पेड़ों को राखी बांधते हुए कहा,


                        “यह सिर्फ एक प्रतीक नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ हमारे भावनात्मक और सांस्कृतिक संबंध का संकेत है।”

स्थानीय लोगों की चिंताएँ

स्थानीय निवासियों का कहना है कि सड़क चौड़ीकरण जरूरी है, लेकिन इसके लिए ऐसे विकल्प खोजे जाने चाहिए जो पेड़ कटान को न्यूनतम करें। उनका तर्क है कि हर साल भूस्खलन से प्रभावित पहाड़ी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई अस्थिरता और बढ़ा सकती है। कई ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि वैकल्पिक समाधान पर विचार नहीं हुआ तो विरोध और तीव्र किया जाएगा।

हाईवे विस्तार और पर्यावरणीय संतुलन पर सवाल

गंगोत्री हाईवे चारधाम यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन पर्यावरणविदों का मानना है कि सड़क चौड़ीकरण के लिए मौजूदा भूगोल, नदी तटीय क्षेत्र और पर्वतीय संवेदनशीलता का अध्ययन आवश्यक है। उनका कहना है कि बिना पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन को सार्वजनिक किए कटान की अनुमति देना पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लगाता है।

विकास बनाम पर्यावरण का संतुलन

विशेषज्ञों का सुझाव है कि गंगोत्री जैसी संवेदनशील घाटी में सड़क चौड़ीकरण के बजाय सुरंग निर्माण, ऊर्ध्वाधर विस्तार, या सुरक्षित कटिंग तकनीक जैसे आधुनिक विकल्प अपनाए जा सकते हैं। इनसे पर्यावरण क्षति कम होगी और हाईवे की सुरक्षा भी बढ़ेगी।