Business | पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में राहत की उम्मीद
नई दिल्ली । तेल उत्पादन से जुड़े संगठन ओपेक और रूस सहित अन्य तेल उत्पादक देशों ने बैठक के बाद तेल उत्पादन में 50 फीसदी इजाफा करने का फैसला किया है। बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया कि ओपेक प्लस देशों ने कहा कि जुलाई और अगस्त महीने के लिए रोजना तेल उत्पादन में 6.48 लाख बैरल की बढ़ोतरी की जाएगी जो फिलहाल रोजाना 4.32 लाख बैरल है। कोरोना के बाद से ओपेक कच्चे तेल के दाम उच्च स्तर पर रखने के लिए लगातार मांग के मुकाबले धीमी रफ्तार के साथ उत्पादन में वृद्धि कर रहा था। अब इस फैसले के बाद माना जा रहा है कि आने वाले समय में कच्चे तेल की कीमत में राहत मिल सकती है।
दुनियाभर में महंगाई के पीछे की एक बड़ी वजह कच्चे तेल का महंगा होना है। कम उत्पादन और रूस- यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया के बड़े तेल उत्पादक देश रूस से आपूर्ति बाधित होने के कारण कच्चा तेल लगातार महंगा होता जा रहा है, जिसके कारण ग्लोबल अर्थव्यवस्था में मंदी और ग्रोथ धीमी होने का मंडरा रहा था। ऐसे में भारत, जापान, अमेरिका जैसे तेल खरीदार ग्रोथ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका चाहता है कि यूरोपीय देश रूस से तेल खरीदना बंद कर दे, जिससे रूस की आर्थिक कमर तोड़ी जा सके। इसके अमेरिका ओपेक देशों पर लगातार तेल उत्पादन बढ़ाने का दबाव बना रहा है। वहीं, खबर यह भी है इसे लेकर अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन जल्द सऊदी अरब का दौरा भी कर सकते हैं।
ओपेक देशों की ओर से तेल उत्पादन में वृद्धि जुलाई महीने से लागू होगी, जिसका असर पेट्रोल-डीजल की कीमत पर कितना पड़ेगा ये अभी कहना मुश्किल है लेकिन उत्पादन बढ़ने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत नीचे आने की संभावना बनी हुई है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया में कच्चे तेल की कीमतों में 30 फीसदी तक का उछाल देखा गया है। फिलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजार एक बैरल कच्चे तेल की कीमत 120 डॉलर के आस-पास बनी हुई है।