December 21, 2024

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कालाढूंगी सीट पर नजर आई कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की गुटबाजी

डॉ महेन्द्र पाल पिथौरागढ़ के अस्कोट के पाल राजवंश से ताल्लुक रखते हैं। वह दिग्गज नेता एनडी तिवारी के आग्रह पर कांग्रेस में शामिल हुए थे। 2002 में नैनीताल लोकसभा सीट से उप चुनाव में डॉ पाल प्रत्याशी बनाये गए और एक लाख से अधिक वोटों से जीते थे।

नैनीताल | कांग्रेस ने कालाढूंगी विधानसभा सीट से पूर्व सांसद डॉ महेंद्र पाल को प्रत्याशी घोषित कर कार्यकर्ताओं के साथ ही राजनीतिक विश्लेषकों को भी चौंका दिया है। मूल रूप से नैनीताल निवासी डॉ पाल का हल्द्वानी में नैनीताल रोड व देवलचौड़ पर भी आवास है। पार्टी संगठन में दशकों से सक्रिय डॉ पाल दो दशक बाद चुनावी सियासत में उतरे हैं।

कुमाऊं विवि के पहले छात्रसंघ अध्यक्ष डॉ पाल पिथौरागढ़ के अस्कोट के पाल राजवंश से ताल्लुक रखते हैं। कांग्रेस ने उनके भतीजे प्रदीप पाल को डीडीहाट में भाजपा के कद्दावर नेता बिशन सिंह चुफाल के खिलाफ उतारा है। पिछले लोकसभा चुनाव में नैनीताल ऊधम सिंह नगर से टिकट के दावेदार डॉ पाल को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को उतारने के कारण मैदान से ही बाहर कर दिया गया। नाराजगी होने के कारण उसके बाद उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें भी चली लेकिन पाल शामिल नहीं हुए।

कांग्रेस में हमेशा हरीश रावत के विरोधी गुट में शामिल रहे डॉ पाल दिग्गज नेता एनडी तिवारी के आग्रह पर जनता दल छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए थे। वह पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, नेता प्रतिपक्ष रही डॉ इंदिरा हृदयेश के भी करीबी रहे हैं। राज्य में पहली निर्वाचित कांग्रेस की सरकार में एनडी तिवारी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने नैनीताल लोकसभा सीट से इस्तीफा दिया और उप चुनाव में डॉ पाल प्रत्याशी बनाये गए और एक लाख से अधिक वोटों से जीते।