देवभूमि को नशा मुक्त करने की मुहिम
देहरादून: उत्तराखंड देवभूमि को नशा मुक्त करने की मुहिम को लेकर अब नैनीताल हाईकोर्ट चीफ़ जस्टिस रमेश रंगनाथन नें “संकल्प नशा मुक्ति देवभूमि’ अभियान की शुरुआत की। यह पहली बार है जब नशे के विरुद्ध हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सहित जज सुधांशु धुलिया,लोकपाल सिंह के द्वारा यह पहल की गई है।
देहरादून ओएनजीसी सभागार से हाईकोर्ट चीफ जस्टिस ने अन्य मुख्य जजों साथ मिलकर “संकल्प नशामुक्त देवभूमि’ नाम से अभियान शुरू किया।नशे के खिलाफ चीफ जस्टिस के इस अभियान में पुलिस विभाग,कई शिक्षण संस्थानों सहित तमाम संस्थानों द्वारा सहयोग किया जा रहा है।कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार, डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी,DG, LO अशोक कुमार सहित तमाम पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारी भी मौजूद रहे जिन्होंने इस अभियान के तहत देव भूमि को नशा मुक्त करने का संकल्प लिया।
प्राधिकरण के सदस्य डॉक्टर ज्ञानेंद्र शर्मा ने बताया कि प्रदेश में लगातार जड़े जमा रहे नशे के खिलाफ अपनी गहरी चिंता जताते हुए हाई कोर्ट चीफ जस्टिस इस अभियान की पहल की है डॉ ज्ञानेन्द्र शर्मा के मुताबिक अभी तक प्राधिकरण द्वारा कराए गए सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 5 साल के मासूम बच्चे से लेकर 15 साल के नाबालिग युवक नशे की गिरफ्त में आ चुके हैं इसके अलावा स्कूल कॉलेजों शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाला युवा वर्ग आज नशे से ग्रसित है जो अपने आप में चिंताजनक है।
आज एम.के.पी कॉलेज, देहरादून में "राष्ट्रीय शिक्षा नीति : विभिन्न स्वरूप और परिप्रेक्ष्य" तथा "मानव संसाधन विकास मंत्रालय के 100 दिन" पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में प्रतिभाग किया ।
इस अवसर पर उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत जी भी उपस्थित रहे । pic.twitter.com/8IZSMwNhMo— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank ( Modi Ka Parivar) (@DrRPNishank) September 28, 2019
भियान के पहले 20 कार्य दिवस के दौरान इस बात का प्रयास रहेगा कि खाली नशे से पीड़ित व्यक्ति जेल ना जाए बल्कि नशे का सामान परोसने वाला जो असली गुनहगार है छोटा हो या बड़ा वो सलाखों के पीछे हो। डॉक्टर ज्ञानेंद्र के मुताबिक अभियान का पहला प्रमुख उद्देश्य नशे की सप्लाई की जड़ तक जाकर डिमांड वाले हिस्से तक चोट पहुंचाने का है जिससे इस काले कारोबार पर प्रभावी अंकुश लग सके। प्राधिकरण ने राज्य सरकार से मांग की है कि प्रदेश के सभी 13 जिलों में निशुल्क नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए जाएं ताकि नशे से ग्रस्त 70% गरीब लोगों का सही रूप से उपचार कर उनका पुनर्वास किया जा सके।
पुनर्वास कार्यक्रम में नशे के कारण शिक्षा से वंचित होने वाले और रोजगार से पिछड़ने वाले लोगों को इस तरह से पुनर्वास किया जाएगा जिससे वह समाज की मुख्यधारा में जुड़ सकें।