मकान मालिक जब चाहेगा तब खाली करना होगी मकान या प्रॉपटी केयर टेकर को

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने प्रॉपर्टी को लेकर केयरटेकर के दावों के संबंध में बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक केयरटेकर/नौकर अपने लंबे समय तक कब्जे के बावजूद संपत्ति पर कभी दावा नहीं कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब मकान मालिक कहेगा,तब (केयरटेकर या नौकर को) मकान या प्रॉपर्टी को खाली करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने संबंध में ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया। निचली अदालत और हाईकोर्ट ने मकान मालिक की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने याचिका पर आगे कार्यवाही करने से मना किया था जिसमें केयरटेकर ने खुद को संपत्ति परिसर से खाली नहीं करने की गुहार लगाई थी।
ट्रायल जज ने इस आधार पर आवेदन को खारिज किया था कि ये विवाद की विषय-वस्तु है। इसकी जांच केवल मालिक के कहने पर लिखित बयान दर्ज होने के बाद की जा सकती है। निचली अदालत ने कहा था कि यह आदेश सात नियम 11, सिविल प्रक्रिया संहिता के दायरे में नहीं है। हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत के उस आदेश की पुष्टि की थी। सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 (डी) में प्रावधान है कि वादपत्र में दिया गया बयान किसी भी कानून द्वारा वर्जित लगता है,तब वाद खारिज कर दिया जाएगा। निचली अदालत के आदेश को रद्द कर जस्टिस अजय रस्तोगी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने मामले में साफतौर पर गलती की है। जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा कि केयरटेकर/नौकर अपने लंबे कब्जे के बावजूद संपत्ति में कभी भी अधिकार हासिल नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि जहां तक प्रतिकूल कब्जे की दलील का संबंध है, केयरटेकर/नौकर को मालिक के कहने पर तुरंत कब्जा देना होगा।