September 4, 2025

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शुरु होने के साथ ही खत्म होगा जियो का साम्राज्य

एलन की कंपनी स्पेसएक्स भारतीय बाजार से सेटलाईट नेटवर्क के जरिए तेज गति से 6जी की सर्विस शुरु करने के लिए  भारत सरकार को दिया आवेदन

नई दिल्ली । रिलायंस समूह के जियो साम्राज्य को कड़ी चुनौती देने के लिए एलन मस्क भारतीय टेलीकॉम के बिजनेस में प्रवेश करने जा रहे हैं। एलन की कंपनी स्पेसएक्स भारतीय बाजार से सेटलाईट नेटवर्क के जरिए तेज गति से 6जी की सर्विस शुरु करने के लिए  भारत सरकार को आवेदन दिया है।

एलन मस्क दुनिया के बड़े अमीर सख्स हैं। इनकी 184 बिलियन युएस डॉलर की सम्पत्ति है। इनके सामने मुकेश अम्बानी का समूह बहुत छोटा है। दुनिया में भारत का इन्टरनेट बाजार सबसे बड़ा है। इसमें एलन मस्क के आने एवं 6जी की नई तकनीकि, जिसमें 4जी और 5जी की तुलना में काफी कम खर्च होगा। पूंजी लागत भी कम होगी। ऐसी स्थिति में एलन मस्क की कंपनी स्पेशएक्स की इंटरनेट सेवायें रिलायंस से बहुत सस्ती होंगी। एलन-मस्क भारतीय बाजार में आक्रामक तरीके से प्रवेश करने जा रहे हैं।

जियो के एकाधिकार को चुनौती
जियो इन्टरनेट सेवाओं पर एकाधिकार करने के लिए 5जी के माध्यम से इन्टरनेट, ई कामर्स एवं ई सेवाओं को लेकर पिछले वर्षों में बड़ी तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय प्लेयर को साक्षीदार बनाकर भारतीय बाजार में एकाधिकार बनाने का जो सपना देखा था। वह सपना टूटने वाला है। भारत में जिस तरह 3जी की तकनीकि का विस्तार बहुत कम हुआ था। 2जी के बाद 4जी की सेवायें बहुत कम अवधि में अस्तित्व में आ गई थी। 5जी सेवाओं की तैयारी शुरु हो रही है। इसी बीच 6जी की सेवाओं को लेकर एलन मस्क के भारतीय बाजार में प्रवेश से भारत की सबसे बड़ी मछली को निगलने के लिए तैयार है।

तारों के जंजाल से मिलेगी मुक्ति
सेटेलाइट के जरिए 6जी की इन्टरनेट सेवायें ज्यादा भरोसेमंद होंगी। तेज गति से डाटा का ट्रान्समीशन होगा। उपभोक्ताओं को काफी कम दामों में 6जी की सेवायें मिलेंगी। सेटलाईट ट्रान्समीशन होने से दूर-दराज के इलाकों एवं जंगलों में इन्टरनेट की सेवायें उपलब्ध होंगी।

अभी इन्टरनेट की सेवाओं के लिए तारों का जाल बिछाया जाता है। 5 जी सेवाओं के लिए कम दूरी पर लाखों टावर भारत में लगाए जाएगें। फायबर के बिल के जरिए कनेक्शन उपलब्ध कराने तथा, टावर लगाने की लागत बहुत ज्यादा है। रिलायंस जियो की 5जी की सेवायें शुरु होने पर जियो की लागत एवं परिचालन खर्च ज्यादा होगा। ऐसी स्थिति में रिलायंस समूह ने टेलीकाम सेक्टर में इन्टरनेट की सहायता से ई-कामर्स एवं ई सेवाओं को लाकर एकाधिकार बनाने का जो सपना देखा था। वह सपना एलन-मस्क के भारतीय बाजार में आने से सपना, टूटता हुआ दिख रहा है। एलन-मस्क की कम्पनी स्पेशएक्स जियो के मुकाबले पूंजी, तकनीकि एवं व्यापारिक रणनीति में कई गुना ज्यादा आगे है।

रिलायंस खा गई छोटी मछलियों को
1998 में धीरुभाई अंबानी सीडीएमए तकनीकी के साथ जब टेलीकॉम सेक्टर में आए थे तब उषा, एस्सार जैसी कम्पनियां खत्म हो गई थी। अब रिलायंस के सामने एक बड़ी मछली आ खड़ी हुई है। हालत 1998 जैसी है। एलन मस्क की कम्पनी के सामने रिलायंस कितना टिकेगी यह जल्द ही सामने आ जाएगा।

 

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