सड़कों पर उतरा, भू-कानून का आंदोलन
देहरादून | भू कानून की मांग लगातार आग पकड़ती जा रही है। सोशल मीडिया पर आपस मे कनेक्ट हुए बड़ी संख्या में युवाओं ने सड़कों पर उतर कर रविवार को भू-कानून को लेकर बात रखी।
भू कानून की मांग उत्तराखंड में कोई नई मांग नहीं है पिछले लंबे समय से अलग अलग राजनीतिक दलों से जुड़े और समाज सेवा से जुड़े लोगों द्वारा उत्तराखंड में हिमाचल की तर्ज पर भू कानून को लेकर मांग उड़ती आई है लेकिन इस बार ऐसा क्या है कि दुकानों का मुद्दा केवल राज्य में नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर मुख्यमंत्री से भू कानून को लेकर सवाल किया जाने लगा है इसका सबसे बड़ा कारण मौजूदा समय में भू कानून को लेकर सोशल मीडिया पर चल रहे कैंपेन को बताया जा रहा है।
वह कानून की मांग पहले भी उठी है लेकिन इस बार सोशल मीडिया के इंस्टाग्राम फेसबुक और ट्विटर पर युवा बढ़-चढ़कर इस मुहिम में भाग ले रहे हैं एक दूसरे से संवाद स्थापित कर रहे हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि यह राजनीतिक दलों से नहीं जुड़े हैं बल्कि भू कानून के मुद्दे पर युवा दिल से जुड़ कर एक दूसरे का साथ दे रहे हैं और यही वजह है कि रविवार को सोशल मीडिया पर ही एक दूसरे से संवाद स्थापित कर बड़ी संख्या में युवा देहरादून की सड़कों पर उतरे थे और अपने हाथों में बैनर पोस्टर लिए भू कानून की मांग को उन लोगों तक भी पहुंचा रहे थे जो कि सोशल मीडिया से दूर है।
रविवार को देहरादून शहर भर में वो कानून को लेकर निकाले गए इस मार्च को कम्युनिकेट करने वाले तीन युवा हैं जिनका नाम मनीष रतूड़ी प्रज्वल और पीयूष है जिन्होंने भू कानून के विषय को समझा और इस विषय को सोशल मीडिया के माध्यम से अपने और साथियों तक भी पहुंचाया और विषय की गंभीरता को देखते हुए सभी युवा इस मुहिम में साथ खड़े हुए। उनका कहना है कि उत्तराखंड को बचाना है यहां की संस्कृति को और उत्तराखंड के अस्तित्व को बचाना है तो भू कानून पर सबको आगे आकर इस कानून को लागू करवाने के लिए सरकार को मजबूर करना होगा हालांकि युवाओं को सरकार से भी उम्मीद है कि जल्द सरकार भू कानून को लेकर एक ठोस निर्णय देगी।